पेड़ों की सुरक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का संवैधानिक कर्तव्य है: उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि पेड़ों की सुरक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का संवैधानिक कर्तव्य है और प्राधिकारियों को इस मामले में सतर्कता बरतनी चाहिए तथा आवश्यकता से अधिक पेड़ों को काटने की मांग नहीं करनी चाहिए।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें आगरा और ग्वालियर के बीच छह लेन वाले राजमार्ग के निर्माण के लिए ताज ट्रेपेजियम क्षेत्र (टीटीजेड) में 800 से अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी गई थी।
यह एक और मामला था, जिसमें अदालत ने पाया कि अधिकारी बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना चाहते थे जबकि ऐसा करना आवश्यक नहीं था।
इसने कहा, ‘‘व्यावहारिक रूप से टीटीजेड और दिल्ली में किए गए प्रत्येक आवेदन के मामले में हमने यह प्रवृत्ति देखी है। सभी प्राधिकरणों का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वे अधिक से अधिक पेड़ों को बचाएं और उनकी रक्षा करें। इसलिए, जब पेड़ों को काटने के लिए आवेदन किया जाता है तो अधिकारियों को सावधानी बरतनी चाहिए और उन्हें आवश्यकता से अधिक पेड़ों को काटने के लिए आवेदन नहीं करना चाहिए।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि एनएचएआई ने 850 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी थी लेकिन राजमार्ग के निर्माण के लिए केवल 650 पेड़ों को ही काटे जाने की जरूरत थी।
इसने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर किया और कहा कि इसने एनएचएआई की लागत पर 9,000 पेड़ों के प्रतिपूरक वृक्षारोपण समेत कुछ शर्तों की सिफारिश की थी।
पीठ ने एनएचएआई को निर्देश दिया कि वह पहले प्रतिपूरक वनरोपण की शर्त का अनुपालन करे और सीईसी से अनुपालन की जांच करने को कहा।
इसने कहा कि समिति अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी और उसके बाद ही अनुमति दी जाएगी।
एनएचएआई की दलील में कहा गया कि प्रस्तावित राजमार्ग से धौलपुर और मुरैना के माध्यम से ग्वालियर और आगरा के बीच संपर्क में सुधार होगा।