उच्चतम न्यायालय ने पार्षद हत्या मामले में अरुण गवली को जमानत देने से इनकार किया
नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने हत्या के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे गैंगस्टर से नेता बने अरुण गवली को जमानत देने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया।
गवली 2007 में मुंबई के शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। उसने तर्क दिया कि उसने 2006 की क्षमा नीति की सभी शर्तों का पालन किया है।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसने गवली की जमानत खारिज कर दी थी।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने सात जनवरी को गवली को 28 दिन की फरलो दी थी।
गवली का फरलो का आवेदन नागपुर (पूर्वी संभाग) के जेल उप महानिरीक्षक (डीआईजी) ने खारिज कर दिया था जिसके बाद उसने उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ से अपनी रिहाई के लिये गुहार लगाई थी।
गवली अखिल भारतीय सेना का संस्थापक है और 2004-2009 तक मुंबई की चिंचपोकली सीट से विधायक रहा है।
उसे 2007 में मुंबई में शिवसेना पार्षद कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था और अगस्त 2012 में मुंबई की एक सत्र अदालत ने उसे हत्या के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।