बुंदेलखंड की जमी पर कमलम की खेती से अब किसानों की चमकेगी तकदीर

खेती का रकबा बढ़ाने की तैयारी

बुंदेलखंड की जमी पर कमलम की खेती से अब किसानों की चमकेगी तकदीर

हमीरपुर, 29 जून (हि.स.)। हमीरपुर समेत बुंदेलखंड की जमी पर कमलम की खेती से किसानों ने अपनी तकदीर बदलने की तैयारी की है। इसके लिए अबकी बार किसानों ने इसकी खेती का दायरा भी बढ़ाने का मन बनाया है। कमलम की खेती में कम लागत आती है,लेकिन कमाई मोटी होती है।

बुंदेलखंड के हमीरपुर जिले के कई गांवों में किसानों ने कमलम की खेती शुरू की है। मौदहा क्षेत्र के पाटनपुर गांव में ऋषि शुक्ला ने पहले एक एकड़ में कमलम के पौधे लगाए थे, लेकिन इस बार डेढ़ बीघे में इसकी खेती करने की तैयारी की है। जिले के राठ क्षेत्र के गोहानी गांव में राजेन्द्र सिंह ने भी कमलम की खेती की तरफ कदम बढ़ाए है।

किसान ऋषि शुक्ला ने बताया कि कमलम का फल बहुत महंगा बिकता है। इसकी डिमांड भी बाजार में लगातार बढ़ी है। तीन गुना तक मुनाफा मिलने से यहां अब कई किसानों ने कमलम की खेती करने की तैयारी इस साल की है। हमीरपुर में काफी समय तक तैनात रहे जिला उद्यान अधिकारी रमेश पाठक ने बताया कि कमलम फल ज्यादातर विदेशों में होता है। जो खाने में तरबूज की तरह मीठा होता है। फल में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व होते हैं। इसकी खेती महाराष्ट्र व छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से किसान कर रहे है। इसकी खेती में बड़ा मुनाफा होता है।

उन्होंने बताया कि हमीरपुर समेत बुंदेलखंड की जमी पर किसानों ने कमलम की खेती की तरफ कदम बढ़ाए है। एक एकड़ में करीब तीन सौ पौधे कमलम के लगाने पर छह लाख रुपये तक का मुनाफा किसानों को मिलता है जबकि लागत दो लाख रुपये के करीब आती है। इसका फल पोषक तत्वों का खजाना है जिसकी बाजार में डिमांड लगातार बढ़ी है।

हमीरपुर के तत्कालीन जिला उद्यान निरीक्षक जीएस सोनकर का कहना है कि एक हेक्टेयर में कमलम की खेती पर किसान को डिपार्टमेंट से तीस हजार रुपये मिलता रहा है। दो साल पहले अनुदान पर कमलम के पौधे किसानों ने लगाए थे। बताया कि मई और जून में कमलम के पौधे में फूल खिलने लगते है। इसके बाद जुलाई से दिसम्बर तक इसमें फल आते है।

कमलम की खेती करने से किसानों में आएगी खुशहाली

कमलम की खेती का इस बार डेढ़ बीघे में करने वाले ऋषि शुक्ला ने बताया कि पिछले बार इसकी खेती करने पर बड़ा फायदा मिला था। इसीलिए इस बार इसकी खेती का रकबा बढ़ाया गया है। बताया कि इस बार डेढ़ एकड़ में कमलम के पौधे लगाए जा रहे है। पाटनपुर गांव में एकरिटायर्ड बैंक अफसर ने भी कमलम की खेती पहली बार शुरू की है। इन्होंने दो एकड़ में कमलम के पौधे लगाए है। किसानों ने बताया कि पिछले बार कमलम के पौधे लगाने में उद्यान विभाग से अनुदान मिला था। किसानों ने कहा कि इसकी खेती करने से आने वाले समय में किसानों की किस्मत चमकेगी।

अस्थमा और शुगर के लिए रामबाण है कमलम के फल

उद्यान विभाग के अधिकारी रमेश पाठक का कहना है कि कमलम एक औषधि वाला फल है जो बुंदेलखंड की जलवायु के लिए उपयुक्त है। इसमें विटामिन्स,आयरन,कैल्शियम,पोटैशियम, सोडियम व जिंक समेत तमाम अन्य पोषक तत्व होते हैं। कमलम के फल खाने से सेहत दुरुस्त रहती है।

आयुर्वेदिक डॉक्टर दिलीप त्रिपाठी व फिजीशियन डॉ.वीके श्रीवास्तव ने बताया कि इस फल को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसमें विटामिन सी फाइबर व फाइबर होने से जख्म जल्दी भरते हैं। पेट सम्बन्धी बीमारी के साथ ही अस्थमा और शुगर बीमारी के लिए कमलम फल रामबाण है।

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