विश्व बांस दिवस : सूरत और तापी जिलों में वन विभाग द्वारा हजारों हेक्टेयर में उगाया जाता है बांस, कई परिवार बांस से बने चीजों की कमाई पर निर्भर

विश्व बांस दिवस : सूरत और तापी जिलों में वन विभाग द्वारा हजारों हेक्टेयर में उगाया जाता है बांस, कई परिवार बांस से बने चीजों की कमाई पर निर्भर

विश्व बांस दिवस 2021 की थीम बांस के पौधे लगाएं है

 हर साल 18 सितंबर को दुनियाभर में विश्व बांस दिवस मनाया जाता है। हर साल बांस दिवस एक थीम े साथ मनाया जाता है। विश्व बांस दिवस 2021 की थीम बांस के पौधे लगाएं है। बांस धरती पर गर्म उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीर भागों में पाया जाता है और एक प्राकृतिक वनस्पति है। बांस का वैज्ञानिक नाम बम्बूसाइडी है। विश्व बांस दिवस पहली बार औपचारिक रूप से 18 सितंबर 2009 को बैंकॉक में आयोजित किया गया था। पिछले 3 से 4 वर्षों में सूरत और तापी जिलों में हजारों हेक्टेयर भूमि में बड़ी मात्रा में बांस लगाया गया है। सूरत और तापी जिलों के गांवों में रहने वाले कोटवाडिया समाज के लोग आज भी बांस आधारित सामान बेचकर जीवन यापन करते हैं।
सूरत जिले में पिछले पांच सालों में 3000 हेक्टेयर में 6 लाख बांस उगाए
दक्षिण गुजरात के जंगल बांस के पेड़ों से भरपूर हैं। खासकर इसी बांस से आदिवासी समाज के लोगों की रोजी-रोटी चलती है। सूरत जिले में वन विभाग द्वारा पिछले 5 वर्षों में 3000 हेक्टेयर में 6 लाख बांस उगाए गए हैं। इस संबंध में सूरत के जिला वन अधिकारी पुनीत नेयर का कहना है कि पिछले पांच साल में तीन हजार हेक्टेयर में अलग-अलग जगहों पर बांस के पौधे लगाए गए हैं। जिसमें दो तरह के बांस आते हैं। काट्स और मानवेल दो प्रकार के बाँस हैं। सूरत जिले में बांस की मात्रा बढ़ाने के लिए हर साल पौधरोपण किया जाता है।
तापी जिले में पिछले तीन वर्षों में 945 हेक्टेयर में बांस लगाया गया
 तापी जिले की बात करें तो पिछले तीन वर्षों में 945 हेक्टेयर में बांस लगाया गया है। जिसमें  35 हेक्टेयर रेवेन्यू भूमि में बांस लगाया गया है। इस संबंध में जिला पदाधिकारी आनंद कुमार का कहना है कि तापी जिले में 46 गांव ऐसे हैं जहां कोटवालिया समुदाय के 2171 परिवार रहते हैं। जो पीटीजी के अंतर्गत आते हैं। ये परिवार ऐसे परिवार हैं जिनके पास किसी प्रकार की जमीन नहीं है और ये लोग केवल बांस  से विभिन्न वस्तुओं बनाकर  बिक्री कर गुजारा चलाते है। ये लोग वन विभाग द्वारा उगाए गए बांस से चीजें बनाते हैं। उन वस्तुओं को बेचने के लिए वन विभाग द्वारा उनकी सहायता की जाती है। उनके लिए विशेष रूप से एक अलग ग्रामीण मॉल भी बनाया गया है। जहां उनके बनाए सामान की बिक्री होती है।
कोटवाडिय़ा समाज द्वारा बांस से बनी विभिन्न वस्तुएं आज पूरे भारत में बेची जाती हैं। राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत भारत सरकार द्वारा पूरे देश से 22 समूहों का चयन किया गया। जिन्हें बांस आधारित रोजगार दिया जाएगा। इन 22 समूहों में से सूरत जिले के मांडवी तालुका में केवल विसडालिया क्लस्टर पूरे गुजरात से चुना गया है। आज विसडालिया में बना उत्पाद पूरे भारत में जाता है और विदेशों में भी इसकी डिमांड है।
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