सुंदरकांड पठन का ये है महत्व

सुंदरकांड पठन का ये है महत्व

मन में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने के लिए उपयोगी है सुंदरकांड का पाठ

मनुष्य जब भी किसी संकट में फसता है तो उसे सबसे पहले याद आते संकटमोचक श्री हनुमान की ही याद आती है। माना जात है की हनुमानजी की उपासना कर और उनके पाठ कर उन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। माना जाता है जो व्यक्ति नियमित रूप से बजरंगबली के पाठ करता है, उसे स्वयं हनुमानजी का संरक्षण प्राप्त होता है। ऐसे में यदि आप भी संकटमोचक हनुमानजी को खुश करना चाहते है तो आपको भी नियमित रूप से हर मंगलवार को सुंदरकांड का पठन करना चाहिए।
हनुमानजी को शक्ति और बुद्धि का देव माना जाता है। उनकी पुजा करने से जीवन की कोई भी समस्या हल हो जाती है। जो कोई भी सुंदरकांड का पाठ करता है, उसे जीवन के हर कार्य में सफलता मिलती है। इसके अलावा हर दिन सुंदरकांड का पाठ करने से एकाग्रता और आत्मविश्वास भी बढ़ता है। सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक ऊर्जा आती है और उसे कोई भी चीज मुश्किल नहीं लगती। सुंदरकांड का पाठ आसानी से घर पर भी पढ़ा जा सकता है। हालांकि पाठ पढ़ते समय कुछ बातों का अनुसरण करना चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ शाम को ही करना चाहिए। इसलिए हमेशा इस पाठ का आरंभ 7 बजे ही करे।
- यदि आप किसी विशेष फल के लिए सुंदरकांड का पाठ करते है तो मंगलवार और शनिवार को इस पाठ की शुरुआत करनी चाहिए।
- सुंदरकांड का पाठ शुरू करने के लिए हमेशा साफ रहे। गंदे हाथ से या पैर से किताब को कभी ना छूये।
- पाठ करने के पहले पुजा स्थल पर हनुमान की प्रतिमा रखे। शक्य हो तो राम और सीता की मूर्तियों को भी साथ रखे।
- हनुमानजी के सामने देशी घी का दिया जलाए और उन्हें मिठाई चढ़ाये।
- सुंदरकांड शुरू करने के पहले राम का नाम ले और उसके बाद ही पाठ शुरू करे।
- पाठ पूर्ण करने के बाद भी भगवान राम का नाम ले और आँख बंद कर हनुमान जी का ध्यान धरे और किताब को मंदिर में वापिस रखे।
- यदि शक्य हो तो सुंदरकांड का पाठ करते समय तुलसीदास रचित रामचरितमानस की पुजा करे।
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