गुजरात : जानें किन परिस्थितियों में हुआ विधवा-विधुर विवाह, समाज के लिए प्रेरक प्रसंग

गुजरात : जानें किन परिस्थितियों में हुआ विधवा-विधुर विवाह, समाज के लिए प्रेरक प्रसंग

नवसारी की विधवा और वलसाड के विधुर की हुई शादी बनी समाज में प्रेरक प्रसंग

पति पत्नी का रिश्ता वैसे तो सात जन्मों का होता है, पर यदि आपके सात जन्मों का साथी आपको इसी जन्म में छोड़ कर चला जाए तो। व्यक्ति का जीना दुश्वार हो जाता है। कुछ ऐसी ही स्थिति में फंसी एक विधवा और एक विधुर की शादी करवा कर समाज को नई राह दी गई है। 

परिवार वालों ने दूसरी शादी के लिए समझाया

नवसारी की विधवा और वलसाड के विधुर को दोनों पक्ष के चारों परिवार ने समजा कर उनकी शादी करवाई। आम तौर पर जहां भारत में आज भी लोग पुरानी मानसिकता को देखते हुये विधुर और विधवा के पुनर्विवाह के प्रति नाराजगी रखते है। वही दूसरी और इस शादी ने लोगों को नई राह दिखाई है। 

दीप्तिबेन और विकेन नायक गुजार रहे थे अकेला जीवन

विस्तृत जानकारी के अनुसार, नवसारी में रहने वाले दीप्तिबेन देसाई के पति जयेशभाई देसाई की पिछले साल मई महीने में कोरोना के कारण मृत्यु हुई थी। उनके ससुराल में उनकी सास और दीप्तिबेन इस तरह मात्र दो लोग ही रहे थे। उनकी सास, ननंद और नंदोई को उनकी हमेशा चिंता लगी रहती थी। वह चाहते थे की उनकी फिर से शादी कर दी जाए। हालांकि दीप्तिबेन ने अपनी शादी के लिए साफ तौर मना कर दिया था। 
वही दूसरी और वलसाड में रहने वाले विकेन नायक की पत्नी का दो साल पहले देहांत हुआ था। पुत्र के विदेश में रहने के कारण विकेन भी अकेले अपना जीवन गुजर रहे थे। उन्होंने भी अपनी शादी के लिए माना किया था। हालांकि दोनों पक्ष के चार परिवारों के एक साथ बैठने के बाद सभी दोनों की फिर से शादी करवाने के लिए सहमत हुए थे। दोनों को काफी बार समझाया गया, अंत में दीप्तिबेन ने अपनी ननंद की बात मानकर शादी के लिए हा की। 

समाज के लिए बना एक अनोखा प्रसंग

दोनों की शादी के लिए हा करने के बाद गुरुवार को विकेनभाई के घर और ससुरालवाले तथा दीप्तिबेन के घर उयर ससुरालवाले तथा कुछ मित्रों की मौजूदगी में दोनों की शादी की गई थी। उपस्थित सभी ने नवदंपति को शादी की शुभकामनायें दी थी। इस अनोखी शादी के बाद समाज के पुराने ख्यालों में जड़े रहने की सोच के सामने नई दिशा दिखने का प्रयत्न किया गया है। 
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