शिक्षक दिवस: गुजरात के आदिवासी जिले के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक संवार रहे हैं बच्चों का भविष्य
वलसाड जिले के ककवाड़ी प्राथमिक स्कूल के बच्चों को मिल रही है अद्यतन स्कूली शिक्षा
समुद्र तट से 1 किमी की दूरी पर स्थित यह स्कूल स्मार्ट और ग्रीन स्कूलिंग का प्रेरक उदाहरण
गांधीनगर, 4 सितंबर (हि.स.)। शिक्षक भविष्य के सशक्त युवाओं और सशक्त समाज के निर्माण की आधारशिला है। इसीलिए हम शिक्षकों के काम की सराहना और सम्मान करने के लिए 5 सितंबर को 'शिक्षक दिवस' के रूप में मनाते हैं। गुजरात के शिक्षकों के उत्कृष्ट योगदान से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा राज्य के दूरदराज के इलाकों तक पहुँच रही है।
राज्य सरकार के प्रयासों से गुजरात यह सुनिश्चित कर रहा है कि अत्याधुनिक स्कूली सुविधाएं पूरे राज्य के विद्यार्थियों तक पहुंचे। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने का उनका यह विजन केवल शहरों और गांवों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों में स्थित स्कूल भी आज स्मार्ट स्कूल बन रहे हैं। वलसाड जिले का ककवाड़ी प्राथमिक स्कूल (केपीएस) स्मार्ट स्कूलिंग का ऐसा ही उदाहरण है। ककवाड़ी प्राथमिक स्कूल के शिक्षकों के मार्गदर्शन ने स्कूल की सफलता, युवा छात्रों के भविष्य को आकार देने और उनकी प्रतिभा को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके अथक प्रयासों के कारण ककवाड़ी प्राथमिक स्कूल गुजरात में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का प्रतीक बना है, जिससे अनेक छात्रों का जीवन उज्ज्वल हो रहा है।
ग्रीन बेल्ट का था अभाव
आदिवासी क्षेत्र में समुद्र तट से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह स्कूल कई तरह की चुनौतियों के बीच कार्यरत था। तटीय इलाका होने के कारण यहां खारेपन की मात्रा अत्यधिक थी और स्कूल परिसर के आसपास ग्रीन बेल्ट का अभाव था। परिस्थितयों को स्वीकार करने के बजाय विपरीत स्थिति के बीच कुछ नया करने की लगन के साथ इस स्कूल ने विद्यार्थियों की क्षमता को विकसित करने तथा पर्यावरण की शिक्षा प्रदान करने के लिए एक प्रेरक उदाहरण पेश किया है।
6 थीमों के आधार पर अलग-अलग समूह
इस स्कूल के विद्यार्थियों को पवन, पानी, ऊर्जा, कूड़ा, मकान और जमीन समेत कुल 6 थीमों के आधार पर अलग-अलग समूहों में बांटा गया था। उन्हें सौंपी गई थीम से संबंधित चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें अलग-अलग प्रोजेक्ट सौंपे गए थे। विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों की मदद से उन्हें सौंपे गए प्रोजेक्ट पर काफी उत्साहपूर्वक काम किया। नतीजा यह हुआ कि स्कूल एक ग्रीन इकोसिस्टम बनाने में सक्षम हुआ। इस स्कूल ने कूड़ा प्रबंधन, जल संचयन, पेयजल सुविधा, जैविक कृषि और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य कर एक अनोखी मिसाल कायम की है।
स्मार्ट स्कूलिंग सिस्टम
यह स्कूल स्मार्ट स्कूलिंग सिस्टम का बेहतरीन उदाहरण है और यहां विद्यार्थियों को पहली कक्षा से ही कंप्यूटर की शिक्षा और डिजिटल साक्षरता का अत्याधुनिक प्रशिक्षण दिया जाता है। यह स्कूल उच्च टेक्नोलॉजी से लैस है, जिसमें विद्यार्थियों के समग्र पाठ्यक्रम और मूल्यांकन को स्मार्ट बोर्ड की मदद से पूरा किया जाता है। विद्यार्थी अपनी शिक्षा और मूल्यांकन के लिए अपने शिक्षक की देखरेख के अंतर्गत स्वतंत्र तौर पर सिस्टम का संचालन कर सकते हैं।
खेल पर भी विशेष ध्यान
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पूरे स्कूली कैम्पस की सीसीटीवी के जरिए निगरानी की जाती है। स्कूल की सभी कक्षाओं में अलग से स्पीकर रखे गए हैं, ताकि उनकी आवश्यकता के अनुसार उन्हें निश्चित निर्देश दिए जा सकें। यह स्कूल अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर भी विशेष ध्यान देता है। स्कूल कैम्पस में सभी विद्यार्थियों को निःशुल्क मध्याह्न भोजन दिया जाता है। विद्यार्थी विभिन्न सांस्कृतिक और खेल गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं। वर्ष 2022 में इस स्कूल के विद्यार्थियों ने खेल महाकुंभ में भाग लेकर कई प्रतिस्पर्धाओं में जीत हासिल की है।
परिसर में नो प्लास्टिक जोन
समग्र स्कूली परिसर ‘नो प्लास्टिक जोन’ है, जहां सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्णतः प्रतिबंध है। इसके चलते स्कूल के आसपास के क्षेत्र में कूड़ा प्रबंधन और कूड़े के पृथक्करण के काम में सुधार हुआ है। स्कूल में लगी फोक्सटेल पाम (ताड़ की प्रजाति), फाइकस और टेकोमा जैसी विविधतापूर्ण वनस्पतियां पर्यावरण को समृद्ध बनाती हैं।
राज्य सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण ककवाड़ी प्राथमिक स्कूल को विभिन्न सम्मान प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2020-21 में, इस स्कूल ने देश भर के 380 स्कूलों को हराकर इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) ग्रीन स्कूल बिल्डिंग अवॉर्ड में प्रथम स्थान हासिल किया था।
ग्रीन स्कूलिंग संकल्पना
गुजरात में ‘मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस प्रोजेक्ट’ में ‘ग्रीन स्कूलिंग’ संकल्पना के अंतर्गत ककवाड़ी प्राथमिक स्कूल श्रेष्ठ स्कूल के तौर पर सामने आया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस स्कूल के कार्य को उल्लेखनीय करार देते हुए इसकी सराहना की थी। गुजरात के दूरस्थ क्षेत्रों में शिक्षा का कायापलट करने में ऐसे स्कूल विशेष भूमिका निभा रहे हैं।