सूरत : मंदी के बीच रत्कलाकारों का समर वेकेशन बढ़ने की संभावना, 'रत्नदीप योजना' शुरू करने की मांग
असली और लैबग्रोन हीरों दोनों की मांग घटने का सीधा असर सूरत के हीरा उद्योग पर देखने को मिला
हीरानगरी सूरत पर मंदी का ग्रहण लगा है। रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बाद वैश्विक बाजार में हीरों की मांग घटी है। असली और लैबग्रोन हीरों दोनों की मांग घटने का सीधा असर सूरत के हीरा उद्योग पर देखने को मिला। हीरा उद्योग में गर्मी की छुट्टी हर बार आती है। यह अवकाश लगभग 7 से 10 दिनों का होता है। हालांकि इस बार हीरा उद्योग में महीने भर की छुट्टी की नौबत आ गई है।
पिछले दो साल से असली हीरों की मांग घट रही है। इस बीच सूरत का हीरा उद्योग मंदी की मार झेल रहा है क्योंकि सूरत के लैबग्रोन हीरों की वैश्विक बाजार में मांग घट रही है। हालांकि हीरा कारोबारियों को उम्मीद है कि एक महीने के बाद मांग में फिर से तेजी आएगी। फिलहाल हीरा उद्योग में छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं। जिसमें अवकाश पूरा की तिथि नहीं दी गई है। छुट्टियां लंबी हुईं तो रत्नकलाकारों की हालत बहुत खराब हो सकती है। इस समय वैश्विक स्तर पर सूरत के रियल और लैबग्रोन हीरों की घटती मांग से हीरा उद्योग चिंतित है।
वहीं दूसरी ओर रत्नकलाकारों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। इसलिए सूरत डायमंड वर्कर्स यूनियन ने सरकार के समक्ष रत्नदीप योजना शुरू करने की मांग की है। जैसे-जैसे हीरा उद्योग में मंदी आ रही है, रत्नकलाकारों की छंटनी हो रही है। साथ ही काम के घंटे भी कम कर दिए गए हैं। फिक्स्ड सैलरीड के साथ-साथ फ्रीलांस काम करते रत्नकलाकारों को काम के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इससे रत्नकलाकारों के लिए आर्थिक रूप से जीवनयापन करना बहुत मुश्किल हो गया है। गर्मी की छुट्टियों से पहले हीरा उद्योग मंदी से चिंतित है।
उधर, रत्नकलाकारों को न्याय दिलाने के लिए हीरा श्रमिक संघ मैदान में उतर गया है। सरकार ने 2008 की वैश्विक मंदी में सरकार ने रत्नदीप योजना लागू की थी। इसी प्रकार वर्तमान मंदी में रत्नदीप योजना को लागू करने की मांग की गई है। इस योजना से रत्नकलाकारों के घर की रोजी रोटी चल सकती है। साथ ही हीरा सीखने के लिए सरकार द्वारा दिया जाने वाला भत्ता मंदी में लाभकारी होगा। इसलिए हीरा श्रमिक संघ ने रत्नकलाकारों के हित को ध्यान में रखते हुए सरकार से रत्नदीप योजना लागू करने का अनुरोध किया है।