सूरत : "अभिलाषा" कार्यक्रम के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रही हैं डॉ. रिंकल जरीवाला
ज्वेलरी डिजाइनिंग से लेकर फैब्रिक क्राफ्ट तक, मुफ्त कोर्सों के जरिये महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण का ज्ञान
सूरत शहर के पारले प्वाइंट क्षेत्र की निवासी डॉ. रिंकल अनुज जरीवाला आज महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के अपने विशेष अभियान "अभिलाषा" के माध्यम से सुर्खियों में हैं।
डॉ. रिंकल ने स्नातक की पढ़ाई के बाद एस्थेटिक मेडिसिन, कॉस्मेटोलॉजी और ट्राइकोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स कर 2006 से अपने करियर की शुरुआत की थी। कुछ वर्षों तक कार्य अनुभव लेने के बाद, उन्होंने 2011 में अपना स्वयं का क्लिनिक स्थापित किया, जो आज पूरे सूरत में "डॉ. रिंकल जरीवाला" के नाम से प्रसिद्ध है।
करियर के साथ-साथ डॉ. रिंकल ने सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भागीदारी निभाई। वे SGCCI (सूरत चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री) की इलेक्टेड मैनेजिंग कमिटी मेंबर, यूथ विंग की कमिटी चेयरपर्सन और ह्यूमन इंडिया चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की फाउंडर प्रेसिडेंट रही हैं। हाल ही में उन्होंने "स्वाति संस्था" की भी स्थापना की है।
डॉ. रिंकल का मानना है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सिर्फ प्रेरणा नहीं, बल्कि ठोस आर्थिक अवसर उपलब्ध कराने की जरूरत है। इसी सोच के तहत उन्होंने "अभिलाषा" संस्था की शुरुआत की, जिसमें महिलाओं को निःशुल्क कौशल विकास की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को संयुक्त परिवार में रहकर ही अपना जीवन संवारना चाहिए। इससे महिला सशक्तिकरण के साथ पारीवारिक व सामाजिक ढांचा मजबूत होगा।
अभिलाषा के अंतर्गत महिलाओं को ज्वेलरी डिजाइनिंग, कैंडल मेकिंग, फैब्रिक डिजाइन और अन्य स्वरोजगार आधारित कोर्स सिखाए जाते हैं, जिससे वे खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें और आत्मनिर्भर बनें।
डॉ. रिंकल का कहना है, "जब महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, तब ही वे अपने परिवार और समाज में मजबूत योगदान दे सकेंगी।" उन्होंने यह भी जोर दिया कि महिलाओं को राजनीति जैसे क्षेत्रों में भी आगे बढ़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाना चाहिए। डॉ. रिंकल के इस अभियान से न केवल कई महिलाओं के जीवन में परिवर्तन आया है, बल्कि सूरत शहर में महिला सशक्तिकरण के एक नए युग की शुरुआत भी हुई है।