वडोदरा : वडोदरा की माइरेस्टिका टेक्नोलॉजीज को भारत सरकार से दुर्लभ कर छूट प्रमाणपत्र

मानवीय मूल्यों और तकनीकी नवाचार का संगम, स्टार्टअप को मिली देश की शीर्ष 2% स्टार्टअप्स में स्थान

वडोदरा : वडोदरा की माइरेस्टिका टेक्नोलॉजीज को भारत सरकार से दुर्लभ कर छूट प्रमाणपत्र

नवाचार और तकनीकी दृष्टिकोण के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने की दिशा में अग्रसर माइरेस्टिका टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कंपनी को भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) द्वारा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80-IAC के अंतर्गत कर छूट प्रमाणपत्र प्राप्त हुआ है।

यह छूट प्रमाणपत्र देशभर के स्टार्टअप्स में से केवल 2% विशेष स्टार्टअप्स को ही मिलता है। वर्ष 2016 से अब तक पंजीकृत 1.6 लाख स्टार्टअप्स में से सिर्फ 3,300 को यह मान्यता दी गई है, जिससे माइरेस्टिका का चयन वडोदरा शहर ही नहीं, पूरे गुजरात और देश के लिए गर्व का विषय बन गया है।

संस्थापक आनंद डी. वधाडिया, जो स्वयं हीमोफीलिया और शारीरिक चुनौतियों का सामना कर चुके हैं, ने इस कंपनी की नींव तकनीक के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के संकल्प के साथ रखी। वे एम.एस. विश्वविद्यालय, वडोदरा के कंप्यूटर विज्ञान विभाग के 2015 बैच के पूर्व छात्र हैं।

कंपनी की पेटेंट तकनीक "Human Value Identification and Proximal Expert Discovery" एक क्रांतिकारी विचार है, जो मानवीय मूल्यों पर आधारित नेटवर्किंग को प्रोत्साहन देती है। इसी तकनीक पर आधारित कंपनी का प्रमुख उत्पाद "LivEars", आज विश्वभर में 5.5 मिलियन उपयोगकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है।

आनंद वधाडिया का कहना है, "माइरेस्टिका सिर्फ एक तकनीकी कंपनी नहीं, बल्कि एक दृष्टिकोण है। यह लोगों को उनके मूल्यों के आधार पर जोड़ने का एक प्रयास है। कर छूट प्रमाणपत्र हमारे लिए एक प्रेरणा है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो सरकार भी आपके साथ खड़ी होती है।"

माइरेस्टिका की यह सफलता टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवाओं के लिए एक मजबूत प्रेरणा है कि सीमित संसाधनों के बावजूद नवाचार, प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि से वे भी वैश्विक स्तर पर पहचान बना सकते हैं।  

यह उपलब्धि न सिर्फ तकनीकी नवाचार का प्रतीक है, बल्कि यह भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था, तकनीकी निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों के विश्वास को भी सुदृढ़ करती है। माइरेस्टिका की यह उपलब्धि दर्शाती है कि वास्तविक बदलाव तकनीक और मानवीय संवेदनाओं के मेल से आता है। यह प्रमाण-पत्र केवल एक सरकारी मान्यता नहीं, बल्कि हर उस युवा का सपना है जो कठिनाइयों को मात देकर आगे बढ़ना चाहता है।

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