राजकोट : 64.80 करोड़ की ठगी, ए.एस. एग्री एंड एक्वा कंपनी के बैंक खाते में मिले सिर्फ 8 लाख

राजकोट : 64.80 करोड़ की ठगी, ए.एस. एग्री एंड एक्वा कंपनी के बैंक खाते में मिले सिर्फ 8 लाख

चार आरोपी मुंबई ले जाए जाएंगे, प्रशांत जाड़े की गिरफ्तारी से खुलेगा करोड़ों की धोखाधड़ी का राज, क्राइम ब्रांच को बड़ी जानकारी की उम्मीद

राजकोट के व्यापारियों को हल्दी की खेती में ऊंचे लाभ का झांसा देकर 64.80 करोड़ रुपये की ठगी करने वाली मुंबई की कंपनी ए.एस. एग्री एंड एक्वा एलएलपी के बैंक खाते में मात्र 8 लाख रुपये मिलने का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।  

राजकोट क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि कंपनी पर 2022 में जीएसटी विभाग ने छापेमारी की थी, जिसके बाद उसका बैंक खाता सीज कर दिया गया था। जांच के दौरान जब खाता खंगाला गया, तो उसमें केवल 8 लाख रुपये नकद मिले।  

कंपनी के चार मौजूदा साझेदार हर्षल ओजे, वैभव कोटलापुरे, प्रवीण पथारे और दिलीप पटेल जो ढाई-ढाई प्रतिशत की हिस्सेदारी रखते हैं, को क्राइम ब्रांच ने रिमांड पर लिया है। हालांकि पूछताछ के बाद भी यह स्पष्ट नहीं हो सका कि करोड़ों की यह राशि आखिरकार गई कहां।

क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक, इन चारों आरोपियों को अब मुंबई स्थित कंपनी के मुख्यालय ले जाया जाएगा, जहां और अधिक पूछताछ की जाएगी। साथ ही कंपनी के अन्य तीन वांछित आरोपी संदेश खामकर, प्रशांत जाड़े और संदीप सावंत, जो फिलहाल जेल में बंद हैं, को स्थानांतरण वारंट के तहत हिरासत में लेकर पूछताछ की जाएगी।

प्रशांत जाड़े की गिरफ्तारी को केस में टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है, क्योंकि उसके माध्यम से यह जानकारी मिलने की संभावना है कि धोखाधड़ी की असली रकम कहां ट्रांसफर की गई या किन माध्यमों से निकाली गई। क्राइम ब्रांच यह भी जांच कर रही है कि कंपनी ने किस-किस राज्य या स्थान पर अपनी परियोजनाएं संचालित की थीं, जिससे इन्वेस्टमेंट के नाम पर इतनी भारी रकम जमा की जा सकी।  

गौरतलब है कि राजकोट के एक व्यापारी की शिकायत पर ए.एस. एग्री एंड एक्वा एलएलपी कंपनी के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है। व्यापारी ने आरोप लगाया कि कंपनी ने तीन साल तक समझौते के तहत 1.94 अरब रुपये का भुगतान नहीं किया, जिससे यह मामला गंभीर आर्थिक धोखाधड़ी में तब्दील हो गया है। अब सबकी नजर क्राइम ब्रांच की मुंबई में होने वाली आगे की कार्रवाई और प्रशांत जाड़े से संभावित खुलासों पर टिकी हुई है।

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