राजकोट : टंकारा में नवजात को जिंदा दफनाने वाला निर्दयी दंपति गिरफ्तार
बच्ची के कपड़ों पर स्वास्थ्य केंद्र का नाम लिखा होना बना सुराग, 25 दिनों की जांच के बाद मोरबी क्राइम ब्रांच ने किया पर्दाफाश
राजकोट के टंकारा तालुका के धुनडा गांव में चार दिन की एक नवजात बच्ची को जिंदा दफनाने वाले निर्दयी दंपति को पुलिस ने 25 दिन की लगातार जांच के बाद गिरफ्तार कर लिया है। इस घिनौने अपराध का सुराग बच्ची के कपड़ों पर लिखे बनासकांठा के भाभोर स्वास्थ्य केंद्र के नाम से मिला।
19 मार्च को एक राहगीर ने धुनडा गांव के पास एक बच्चे के रोने की आवाज सुनी। स्थानीय लोगों की मदद से जब जमीन को खोदा गया तो वहां एक नवजात बच्ची जीवित अवस्था में दबी हुई मिली। तुरंत उसे मोरबी सरकारी अस्पताल पहुंचाया गया और टंकारा पुलिस स्टेशन में अज्ञात महिला के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। बच्ची के कपड़ों पर लिखे स्वास्थ्य केंद्र के नाम के आधार पर पुलिस ने भाभोर स्वास्थ्य केंद्र से जानकारी जुटानी शुरू की, पर माता-पिता का कोई सुराग नहीं मिला।
मामले को गंभीरता से लेते हुए मोरबी क्राइम ब्रांच भी जांच में शामिल हुई। पुलिस ने करीब 80 सीसीटीवी कैमरे खंगाले, मोबाइल लोकेशन ट्रेस की और संदिग्धों के मोबाइल आईडी को ट्रैक किया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी दंपति – रमेश प्रेमजी ठाकोर और दक्षा रमेश ठाकोर, बनासकांठा के भाभोर गांव के निवासी हैं। हालांकि, गिरफ्तारी आसान नहीं थी क्योंकि दोनों बार-बार सिम कार्ड बदलते रहे, जिससे ट्रैकिंग में बाधा आई। लेकिन क्राइम ब्रांच ने लगातार मोबाइल ट्रैकिंग के जरिए आखिरकार मिताना गांव के एक पुल के पास दोनों को पकड़ लिया।
पूछताछ में दंपति ने अपराध स्वीकार कर लिया। जानकारी के मुताबिक, पति-पत्नी के बीच घरेलू विवाद चल रहा था। इसी दौरान दक्षा गर्भवती हो गई, जिससे रमेश को शक हुआ कि बच्चा उसका नहीं है। उसने अपनी पत्नी से कहा, "अगर तुम वापस आना चाहती हो तो ये बच्चा नहीं चाहिए।" इसके बाद दोनों ने मिलकर यह अमानवीय कृत्य को अंजाम दिया।
बच्चे का जन्म भाभोर स्वास्थ्य केंद्र में हुआ था, जिसके कुछ दिन बाद वे मोरबी की ओर आए और टंकारा के पास बच्ची को जिंदा दफना दिया।फिलहाल, पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे आगे की पूछताछ की जा रही है। इस क्रूर घटना ने पूरे क्षेत्र में आक्रोश और संवेदना दोनों ही फैला दिए हैं। यह घटना समाज के सामने यह सवाल खड़ा करती है कि कैसे पारिवारिक विवाद एक मासूम की जिंदगी पर भारी पड़ सकता है।