सूरत : बलात्कार मामले में जैन मुनि शांतिसागर को 10 साल की सजा

आश्रम में तांत्रिक अनुष्ठान के नाम पर युवती से किया था बलात्कार, सत्र न्यायालय का सख्त फैसला

सूरत : बलात्कार मामले में जैन मुनि शांतिसागर को 10 साल की सजा

सूरत। शहर के टीमलियावाड़ स्थित जैन आश्रम में तांत्रिक अनुष्ठान के बहाने युवती के साथ बलात्कार करने वाले जैन मुनि शांतिसागर को सूरत सत्र न्यायालय ने 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। न्यायालय का यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जिसमें एक धार्मिक गुरु द्वारा किए गए अपराध को गंभीरता से लेते हुए उसे कानून के कठघरे में लाया गया।

घटना वर्ष 2017 की है, जब वडोदरा के कारेलीबाग क्षेत्र की 19 वर्षीय युवती अपने माता-पिता और भाई के साथ सूरत के जैन दिगंबर मंदिर आई थी। पीड़िता के माता-पिता शांतिसागर मुनि को आध्यात्मिक गुरु मानते थे। इस विश्वास का दुरुपयोग करते हुए मुनि ने युवती के साथ अपने ही आश्रम में बलात्कार किया।

घटना का विवरण रौंगटे खड़े कर देने वाला है। मुनि ने युवती के माता-पिता और भाई को एक कमरे में बैठा दिया, उनसे आंखें बंद कर मंत्र जाप करने को कहा और फिर युवती को दूसरे कमरे में ले जाकर सम्मोहित करने के बहाने बलात्कार किया। इस घटना के बाद पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद आरोपी पिछले आठ वर्षों से जेल में बंद है।

सरकारी वकील नयन सुखडवाला ने अदालत में सरकार की ओर से मजबूती से पक्ष रखा और आजीवन कारावास की मांग की। उन्होंने तर्क देते हुए कहा कि, "गुरु का स्थान हमारे समाज में अत्यंत पूजनीय होता है। जब वही गुरु अपराध करे तो उसका प्रभाव केवल पीड़ित तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे समाज में गलत संदेश जाता है।"

सरकार ने पीड़िता को मानसिक और शारीरिक क्षति के लिए पीड़ित सहायता योजना के तहत मुआवजा देने की भी मांग की। इस अमानवीय घटना के बाद पीड़िता के पिता गहरे सदमे में चल बसे।

इस फैसले के साथ अदालत ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि धार्मिक पहचान किसी को कानून से ऊपर नहीं बनाती और ऐसे अपराधों पर कठोर सजा दी जाएगी।

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