सूरत : नगर निगम का 10,000 करोड़ का बजट देर रात विपक्ष की अनुपस्थिति में पारित

बजट की आम सभा हंगामेदार रही, विपक्षी नेता सहित तीन सदस्य निलंबित

सूरत : नगर निगम का 10,000 करोड़ का बजट देर रात विपक्ष की अनुपस्थिति में पारित

सूरत नगर निगम के 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के बजट पर शुक्रवार सूबह 10 बजे साधारण सभा में चर्चा शुरू हुई, जो सूरत के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। इस बैठक में सत्तारूढ़ दल ने अपने काम को प्रभावशाली बताया, जबकि विपक्ष ने सत्ताधारियों की विफलताओं को उजागर किया। रात दस बजे तक चली चर्चा के दौरान विपक्ष की अनुपस्थिति में बजट पारित हुआ। 

शुक्रवार सूबह 10 बजे बजट पर बहस शुरू होने से पहले, सभाध्यक्ष महापौर दक्षेश मावाणी ने केंद्र सरकार के "एक राष्ट्र, एक चुनाव" विधेयक के समर्थन में प्रस्ताव पेश किया, जिसका विपक्ष ने विरोध किया। हालाँकि, बहुमत के आधार पर प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई और राष्ट्रपति के पास भेजने पर सहमति बनी।

स्थायी समिति के अध्यक्ष राजन पटेल ने बजट पेश करते हुए इसे "मिशन सिटी-फ्रेंडली बजट" कहा। सूरत नगर निगम के 38वें महापौर, 43वें उप महापौर, 51वें स्थायी समिति अध्यक्ष द्वारा नगर निगम कि स्थापना के बाद से प्रस्तुत यह 59वां बजट है। उन्होंने कहा कि 2025-26 के लिए नगर निगम का बजट 10,004 करोड़ रुपये का ड्राफ्ट बजट है, जो साबित करता है कि नगर निगम के कम राजस्व स्रोतों के बावजूद सूरत शहर में पिछले कुछ वर्षों में विकास में उछाल आया है और 49 प्रतिशत पूंजीगत व्यय प्रदान किया गया है। पिछले वर्ष के बजट में प्रस्तुत 84 प्रतिशत कार्य पूरे हो चुके हैं तथा वर्तमान बजट प्रारूप में 401 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है, जिसका प्रभाव शहर के विकास पर अपेक्षाकृत रूप से देखने को मिलेगा।

भाजपा पार्षद रमीला पटेल ने चर्चा के दौरान कहा, "भाजपा शासन से पहले 1995 में शहर की सड़कें खस्ताहाल थीं और सूरत गंदगी का अड्डा था। आज सूरत स्वच्छता के मामले में नंबर-1 है।" उन्होंने आवासीय सोसायटियों को स्वच्छता अनुदान में वृद्धि की मांग की। वर्तमान महंगाई को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में दी जा रही 3,000-4,000 रुपये की अनुदान राशि को बढ़ाने का प्रस्ताव महापौर के समक्ष रखा गया।

पूर्व महापौर हेमाली बोधावाला ने कहा कि यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे, सामाजिक सुरक्षा और पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि भाजपा शासन के दौरान किए गए विकास कार्य महानगर के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। अगले वर्ष डायमंड ज्युबिली मनाने का सुझाव दिया गया क्योंकि यह सूरत नगर निगम का 75वां वर्ष होगा। इसके साथ ही सूरत से डुमस तक खुली छत वाली बस शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा गया।

भाजपा के दीपन देसाई ने बजट को शहर की मजबूती का सबूत बताते हुए कहा कि 10,004 करोड़ रुपये का बजट सूरत की प्रगति को दर्शाता है। 476 करोड़ रुपये का अधिशेष बजट शासकों की बुद्धिमत्ता को दर्शाता है, जो शहर के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। 4900 करोड़ रुपये के पूंजीगत कार्यों को राज्य और केंद्र सरकारों के अनुदान और स्वयं के धन से वित्तपोषित किया जाएगा, जो ट्रिपल इंजन सरकार के लाभों को रेखांकित करता है। उन्होंने कहा कि वॉल सिटी क्षेत्र में अधिक योजना संभव नहीं है, लेकिन सीसी रोड की योजना शुरू कर दी गई है, जो कोट क्षेत्र के लिए लाभदायक साबित होगी।

विजय चौमाल ने नगर निगम मुख्यालय का 'सूर्यपुर भवन' नामकरण की रखी मांग

सूरत: स्लम इम्प्रूवमेंट समिति के अध्यक्ष विजय चौमाल ने नगर निगम और शिक्षा समिति के संशोधित एवं ड्राफ्ट बजट का समर्थन किया। सामान्य सभा की बैठक में उन्होंने अपने परिचित अंदाज में कहा कि सूरत नगर निगम मुख्यालय आज भी मुगलीसरा के नाम से जाना जाता है जो मुगल शासन की याद दिलाता है। जबकि वक्फ बोर्ड के मामले में नगर निगम केस जीत चुका है। ऐसे में, उन्होंने निगम मुख्यालय का नाम बदलकर 'सूर्यपुर भवन' रखने की मांग रखी।

 सभा के दौरान विजय चौमाल ने ईमानदारी से कार्य करने की अपील की। उन्होंने पार्षदों और अधिकारियों को देशहित में निष्ठापूर्वक कार्य करने की सलाह दी। साथ ही, उन्होंने 30 मार्च को होने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पथ संचलन में सभी पार्षदों को उपस्थित होने का निमंत्रण दिया।

विजय चौमाल अफोर्डेबल हाउसिंग विभाग के अंतर्गत आने वाले प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यों से भी जुड़े हुए हैं। इस योजना के तहत गरीब , श्रमिक और मध्यमवर्ग के लोगों को सूरत शहर में सरकारी निति नियमों के तहत सम्मान पूर्वक आधुनिक सुविधाओं से सज्ज अपने घर का सपना साकार करने का मौका मिलता है। 

उन्होंने बताया कि 2016-17 में नगर निगम में 'शहीद स्मारक' बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे अब स्वीकृति मिल चुकी है और इस पर काम भी शुरू हो चुका है। 

उन्होंने कहा कि सूरत में बसे पटेल और पाटीदार समाज के बच्चे इंजीनियर और डॉक्टर बनना चाहते हैं, जबकि गुजराती और राजस्थानी समाज के बच्चे बिजनेस और चार्टर्ड अकाउंटेंसी (सीए) के क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। लेकिन अब देशभक्ति की भावना को प्रोत्साहित करने के लिए 'शहीद स्मारक' बनाया जा रहा है, ताकि सूरत के युवा अग्निवीर योजना और सैनिक स्कूलों में भर्ती होकर देश की सेवा कर सकें। इस पहल से शहर के युवाओं में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत होगी और वे देश के रक्षक बनने के लिए प्रेरित होंगे।

विपक्षी नेता निलंबित होने पर विपक्षी सदस्यों का वोकआऊट 

सूरत। विपक्ष की नेता पायल सकारिया, उपनेता महेशभाई अनघन और विपक्ष की दंडक रचनाबेन हिरपारा को यह कहने पर आम बजट सत्र से निलंबित कर दिया गया कि गुजरात में भव्य कमलम (भाजपा कार्यालय) भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सबूत है।

सूरत महानगरपालिका की आम बजट बैठक में विपक्ष के इस दावे के कारण हंगामा हो गया कि महानगरपालिका के घोटालों की किश्तें कमलम में जा रही हैं। विपक्षी सदस्य रचना हिरपरा ने साधारण सभा में प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि स्मीमेर में दवाइयों की खरीद में घोटाला होता है। यानी बड़ी किश्तें कमलम में जाती हैं, इस तरह के बयान से भारी हंगामा हुआ।

सभी भाजपा सदस्यों ने माफी की मांग की और महापौर ने रचना हिरपरा से अपने शब्द वापस लेने को कहा। हालांकि, इसके बावजूद रचना हिरपरा ने अपनी बात वापस नहीं ली तो सभाध्यक्ष महापौर ने उन्हें निलंबित कर दिया गया। इस दौरान भाजपा सदस्यों ने विपक्ष से सबुत की मांग की तो इसके बाद विपक्षी सदस्य महेश अनघान ने आरोप लगाया कि भव्य कमल भ्रष्टाचार का सबूत है। जिससे आम बैठक में फिर हंगामा मच गया। इसके बाद सभाध्यक्ष ने महेश अनधन से अपने शब्द वापस लेने को कहा। महेश अनधन ने शब्द वापस नही लेने पर उन्हे भी सभा से निलंबित किया गया।

सिक्युरीटी गार्ड जबरन महेश अनधन को सभागृह से बाहर ले गए। तभी विपक्षी नेता पायल सकारिया ने कहा की विपक्षी सदस्यों को अपनी बात कहने से रोकने के लिए निलंबित किया जा रहा है। उन्होंने महापौर पर उच्च पद से पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि महापौर का यह रवैय्या दादागीरी के समान है।

इस निवेदन पर दुबारा सभा में हंगामा मच गया। महापौर ने विपक्षी नेता को अपने स्थान पर बैठने के लिए कहा जिसका पालन न करने पर उन्हे भी  सभागृह से ‌निलंबित कर दिया। इस के बाद पूर्व विपक्षी नेता धर्मेश भंडेरी इस मुद्दे का पुरजोर विरोध कर रहे थे और विपक्ष के साथ अन्याय होने का आरोप लगा रहे थे। उन्हे भी निलंबित करने की धमकी देने पर विपक्ष के सभी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

 

 

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