सफरनामा से उपराष्ट्रपति भवन तक: मेरी उपलब्धियों की दास्तान

सफरनामा से उपराष्ट्रपति भवन तक: मेरी उपलब्धियों की दास्तान

दिल्ली, 25 फ़रवरी: मेरा नाम साहब कुमार यादव है। मैंने अपनी स्नातक शिक्षा इंजीनियरिंग में पूर्ण की और 2014 में 73.9% अंकों के साथ उत्तीर्ण हुआ। सातवें सेमेस्टर में ही मुझे नौकरी का प्रस्ताव मिला और तब से मैं भारत सरकार के साथ जुड़ा हुआ हूँ। वर्तमान में, मैं भारत सरकार के उपक्रम सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (CEL) में डिप्टी इंजीनियर के पद पर कार्यरत हूँ।

नौकरी के साथ-साथ मैं हिंदी भाषा एवं राजभाषा गतिविधियों में समर्पित रूप से सक्रिय रहा हूँ। हाल ही में मुझे मेरी पुस्तकों के लिए कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रमुख रूप से रवींद्र रतन पुरस्कार, भारत सेवा पुरस्कार, तथा मगही साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट पुरस्कार शामिल हैं। मैं इंटरनेशनल मगही परिषद का भी सदस्य हूँ। इसके अतिरिक्त, मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में मेरा नाम "बेस्ट राइटर अवार्ड 2024" के लिए दर्ज किया गया, जो मेरे करियर के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

मैंने "सफरनामा" नामक पुस्तक लिखी, जो मेरे करियर एवं कार्य अनुभव से संबंधित है। "कदमों के निशान" में मैंने उन स्थानों का वर्णन किया है, जहाँ-जहाँ मेरे कदम पहुँचे। वहीं, "अल्फा, बीटा, गामा" एक उपन्यास है, जो कुत्तों के जीवन पर आधारित है।

हाल ही में, मुझे राष्ट्रपति भवन जाने का अवसर मिला, जहाँ मैंने अपनी तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन किया। वहाँ, मैंने मात्र 9 मिनट में स्मार्ट बोर्ड इंस्टॉल कर दिया, जिससे श्रीमती डॉ. सुदेश धनखड़ जी अत्यंत प्रभावित हुईं। उन्होंने स्वयं कहा—"यादव जी, आप सच में 'वन मैन यंग आर्मी' हैं!"
क्योंकि वहाँ मैं अकेले गया था और अपने कार्य को कुशलता से संपन्न किया।

इसके अतिरिक्त, "अल्फा, बीटा, गामा" उपन्यास की लेखिका ने मेरी पुस्तक की प्रशंसा की और मुझसे कहा—"बहुत अच्छा लिखा है बेटा, मेरा नंबर लो और घर आओ।"

Tags: Surat PNN