इलाहाबादिया और सहयोगी अगले आदेश तक कोई अन्य शो नहीं प्रसारित करेंगे: न्यायालय
नयी दिल्ली, 18 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया को यूट्यूब पर प्रसारित शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ पर उनकी टिप्पणियों के लिए मंगलवार को फटकार लगाई और उन्हें तथा उनके सहयोगियों को अगले आदेश तक कोई भी शो प्रसारित न करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता या उसके सहयोगी अगले आदेश तक यूट्यूब या संचार के किसी अन्य ऑडियो/वीडियो मंच पर कोई भी शो प्रसारित नहीं करेंगे।’’
इलाहाबादिया को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देने वाले शीर्ष अदालत के आदेश में कुछ शर्तें भी लागू की गई हैं, जिसमें प्राथमिकियों के संबंध में महाराष्ट्र के ठाणे और असम के गुवाहाटी में जारी जांच में सहयोग करना शामिल है।
शो में माता-पिता और यौन संबंधों पर टिप्पणी करने के लिए ‘बीयरबाइसेप्स’ के नाम से मशहूर इलाहाबादिया के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे। इस शो को कॉमेडियन समय रैना संचालित करते हैं।
पीठ ने जांच अधिकारी की ओर से बुलाए जाने पर इलाहाबादिया के जांच में शामिल होने पर उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम संरक्षण इस शर्त के अधीन दिया जाता है कि याचिकाकर्ता जांच में पूरा सहयोग करेगा। जांच के दौरान उसके साथ थाने के अंदर कोई वकील नहीं होगा।’’
पीठ ने इलाहाबादिया को निर्देश दिया कि वह अपना पासपोर्ट ठाणे के नोडल साइबर पुलिस थाने के जांच अधिकारी के पास जमा करा दें।
पीठ ने कहा, ‘‘वह इस अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे।’’
इलाहाबादिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ 16 फरवरी को राजस्थान के जयपुर में एक नयी प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि इसी तरह के आरोपों पर जयपुर (राजस्थान) में कोई अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई है, तो उक्त प्राथमिकी में भी याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी। ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ के उक्त एपिसोड के आधार पर याचिकाकर्ता के खिलाफ अब कोई और प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाएगी, जिसके लिए उपर्युक्त दो/तीन प्राथमिकी पहले ही दर्ज की जा चुकी हैं।’’
पीठ ने कहा कि इलाहाबादिया को किसी भी खतरे की स्थिति में अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र और असम की स्थानीय पुलिस से संपर्क करने की स्वतंत्रता है, ताकि वह जांच में शामिल हो सकें।
पीठ ने इलाहाबादिया की उस याचिका पर केंद्र, महाराष्ट्र और असम की सरकारों से जवाब मांगा है, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज कई प्राथमिकियों को एक साथ जोड़ने और रद्द करने का अनुरोध किया गया है।
पीठ ने सुनवाई के लिए तीन मार्च की तारीख तय की।