सूरत : शेल्बी अस्पताल की लापरवाही से नवसारी के युवक की मौत, परिजनों ने डॉक्टर और अस्पताल प्रशासन पर लगाया गंभीर आरोप
परिवार का आरोप – इलाज के नाम पर वसूले 20 लाख रुपये, फिर भी नहीं बची जान
नवसारी के एक परिवार ने शेल्बी अस्पताल, सूरत और डॉक्टर जेनी गांधी पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। परिवार का दावा है कि नवसारी के 33 वर्षीय कौशिक पटेल, जो एक सामान्य पथरी की समस्या से ग्रस्त थे, का गलत उपचार किया गया और बार-बार अनावश्यक ऑपरेशन करके उनसे 20 लाख रुपये वसूल लिए गए। बावजूद इसके, डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा सके।
कौशिक पटेल, जो एक फार्मा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में कार्यरत थे, को 15 नवंबर 2024 को अचानक पेट दर्द हुआ, जिसके बाद उन्होंने वांसदा में एक रेडियोलॉजिस्ट से सोनोग्राफी करवाई। जब दर्द कम नहीं हुआ तो उन्हें नवसारी के सरदार पटेल अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद बताया कि उनके पेट में कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। इसके बाद परिजन उन्हें नवसारी के आईएनएस अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने नए टेस्ट किए।
छह ऑपरेशनों के बावजूद बिगड़ी हालत, अंततः हुई मौत
16 नवंबर को डॉक्टर जेनी गांधी ने कौशिक पटेल का परीक्षण किया और बताया कि उनकी हृदय धमनियों और आंतों के बीच एक ब्लड क्लॉट (थक्का) है, जिसे हटाने के लिए एक विशेष कैथेटर डाला जाएगा, जिसकी लागत 9 लाख रुपये होगी। अगले दिन, डॉक्टरों ने अपनी राय बदली और कहा कि यह प्रक्रिया आवश्यक नहीं है, बल्कि "थ्रोम्बोलाइसिस" ट्रीटमेंट देना सही होगा। इसके बाद 17 नवंबर को डॉक्टर जेनी गांधी ने पहला ऑपरेशन किया, लेकिन अगले दिन मरीज की हालत बिगड़ गई। मरीज को सूरत की शेल्बी अस्पताल रेफर किया गया।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने कौशिक की स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया और शेल्बी अस्पताल में एक के बाद एक छह ऑपरेशन किए गए। 6 दिसंबर को उनका एक पैर काटना पड़ा, लेकिन तब तक संक्रमण बहुत बढ़ चुका था। अंततः, 14 दिसंबर को कौशिक की मौत हो गई।
परिवार ने नवसारी पुलिस अधीक्षक और गुजरात मेडिकल काउंसिल में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें डॉक्टर जेनी गांधी और शेल्बी अस्पताल के अन्य डॉक्टरों पर लापरवाही और अनावश्यक इलाज का आरोप लगाया गया है। परिवार की मांग है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।