सूरत : चैंबर ऑफ कोमर्स द्वारा 'उपभोक्ता संरक्षण एवं बीमा सेवाएं' विषय पर सेमिनार आयोजित
राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष आशुतोष शास्त्री एवं एडवोकेट-लेखक श्रेयस देसाई उपस्थित थे
सूरत : दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और उपभोक्ता परिषद सूरत की संयुक्त पहल पर 'उपभोक्ता संरक्षण एवं बीमा सेवाएं' विषय पर सेमिनार आयोजित किया गया, जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एवं गुजरात राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष आशुतोष शास्त्री मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मुख्य वक्ता के रुप में एडवोकेट-लेखक श्रेयस देसाई उपस्थित थे।
अपने स्वागत भाषण में चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने कहा कि ग्राहकों की सुरक्षा सदैव महत्वपूर्ण है। बीमा सेवाओं के क्षेत्र में यह विशेष रूप से आवश्यक है। ग्राहकों को कोई भी पॉलिसी लेने से पहले उसकी शर्तों को पढ़ना और समझना चाहिए। इस संबंध में बीमा सेवा क्षेत्र से जुड़े सलाहकारों को भी पॉलिसी के प्रति पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए, ताकि ग्राहकों के हितों को बनाए रखा जा सके और उनके अधिकारों की रक्षा की जा सके।
आशुतोष शास्त्री ने कहा कि 20 जुलाई 2020 को लागू हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना और
यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें त्वरित न्याय मिले। इस अधिनियम से ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीदारी करने वाले उपभोक्ता धोखाधड़ी से बच सकेंगे। इस कानून के तहत उपभोक्ताओं को वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा, गुणवत्ता, शुद्धता, क्षमता, मूल्य, मानक मानदंडों के बारे में जानकारी, खतरनाक वस्तुओं एवं सेवाओं से सुरक्षा तथा निषिद्ध व्यापार प्रथाओं से सुरक्षा जैसे मौलिक अधिकार प्राप्त हैं।
उन्होंने आगे कहा कि यदि वस्तुओं एवं आपूर्तियों का मूल्य रु. 10 करोड़ से अधिक है तो समस्या का समाधान राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय वितरक आयोग करेगा। उन्होंने वाहन संबंधी बीमा सेवाओं में उपभोक्ता संरक्षण परिषद की महत्ता तथा बीमा कम्पनियों द्वारा दावों को अस्वीकार किए जाने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी।
एडवोकेट श्रेयस देसाई ने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों में बीमा के प्रति जागरूकता का स्तर ऊंचा है। उपभोक्ता संरक्षण के 60% मामले बीमा से संबंधित हैं, जिनमें सबसे अधिक मामले मेडिक्लेम बीमा से संबंधित हैं। मेडिक्लेम अस्वीकृति के सबसे सामान्य कारणों में पहले से मौजूद बीमारियाँ और नेत्र इंजेक्शन के मामले शामिल हैं।
बीमा कम्पनियां अक्सर ऐसे मामलों में दावों को अस्वीकार कर देती हैं। कई बार कंपनियां अपनी पॉलिसी के नियमों के आधार पर दावों को खारिज कर देती हैं, इसलिए ग्राहकों को पॉलिसी लेते समय फॉर्म को ध्यान से पढ़ना, समझना और भरना चाहिए। इसके अलावा, ग्राहकों को बीमा फॉर्म भरते समय स्वास्थ्य संबंधी सभी बातें बतानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि शोध से यह साबित हो चुका है कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां हैं, जिसके कारण कोई भी बीमा कंपनी दावे से इनकार नहीं कर सकती।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष निखिल मद्रासी, वी. टी. चोकसी कॉलेज की प्राचार्या सुश्री इरमलाबेन दयाल, चैम्बर के सदस्य और नागरिक सेमिनार में उपस्थित थे। चैंबर के मानद मंत्री नीरव मंडलेवाला ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। अंत में वक्ताओं द्वारा उपस्थित लोगों के सभी प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर दिया गया और फिर कार्यक्रम समाप्त हो गया।