सूरत : ‘उद्यमियों की सामाजिक-सांस्कृतिक जिम्मेदारी का विचार’ पर सत्र आयोजित 

सरकार अपना काम करेगी, लेकिन सामाजिक-सांस्कृतिक जिम्मेदारी के लिए लोगों को स्वयं ही माहौल बनाना होगा: डॉ. विनय सहस्रबुद्ध

सूरत : ‘उद्यमियों की सामाजिक-सांस्कृतिक जिम्मेदारी का विचार’ पर सत्र आयोजित 

सूरत। सोमवार को दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, जीतो - सूरत और दिशा फाउंडेशन की एक संयुक्त पहल से  27 जनवरी 2025 को शाम 5.30 बजे सेमिनार हॉल-ए, सरसाणा, सूरत में 'उद्यमियों के सामाजिक-सांस्कृतिक उत्तरदायित्व का विचार' विषय पर एक सत्र आयोजित किया गया, जिसमें पूर्व राज्यसभा सांसद और भारतीय उद्यमिता परिषद के पूर्व अध्यक्ष और रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के उपाध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने सूरत के उद्यमियों को सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारियों पर व्यापक मार्गदर्शन प्रदान किया।

सत्र में सभी का स्वागत करते हुए चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने कहा कि उद्यमियों को न केवल देश के आर्थिक विकास में बल्कि समाज के निर्माण और उत्थान में भी योगदान देना होगा। ताकि आने वाली पीढ़ी के लिए एक उचित भविष्य का निर्माण हो सके और उसके आधार पर हमारे देश का विकास हो सके।

डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने बताया कि महाराष्ट्र के मिरज में एक महीने में करीब 100 तानपुरा बनाए जाते हैं। इसके लिए किसी तकनीक या मशीनरी की आवश्यकता नहीं है। यह पारंपरिक रूप से कलाकारों द्वारा बनाया जाता है और 100 में से 80 तानपुरा लंदन और न्यू जर्सी को निर्यात किए जाते हैं। डांग और महाराष्ट्र में भी वारली कलाकार हैं। जब मधुबनी और राजस्थानी कलाकार दीवार पेंटिंग बनाते हैं, तो उद्यमियों को ऐसे पारंपरिक कलाकारों का मार्गदर्शन करना चाहिए। योग और शास्त्र भारतीय संस्कृति और परंपरा की विरासत हैं, लेकिन अमेरिका में योग के लिए सर्टिफिकेट लिया जाता है और वहां योग को अभद्र तरीके से प्रस्तुत भी किया जाता है, इसलिए भारतीय परंपरा और संस्कृति के लिए बौद्धिक अधिकारों की भी रक्षा होनी चाहिए, अन्यथा हमारी संस्कृति नष्ट हो जाएगी। 

उन्होंने कहा कि जब पूरी दुनिया भारत की ओर देख रही है, तो न केवल उद्यमियों को बल्कि प्रत्येक भारतीय को भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए प्रयास करने होंगे। भारत में मानवीय रिश्तों को बहुत महत्व दिया जाता है। हम विश्व गुरु तभी बन सकेंगे जब हम भारतीय परम्परा, संस्कृति और जीवन-दृष्टि को पूरी ताकत के साथ विश्व के सामने प्रस्तुत करेंगे।

समाज चार संकटों का सामना कर रहा है, जिनमें उद्देश्य का संकट, प्रामाणिकता का संकट, स्वामित्व का संकट और संबंधों का संकट शामिल हैं। युवा बड़े पैमाने पर स्टार्टअप कर रहे हैं, लेकिन ज़्यादातर स्टार्टअप विफल हो जाते हैं। युवाओं की प्रतिभा को भी पहचाना जाना चाहिए, लेकिन हमारे पास युवाओं की प्रतिभा को पहचानने का कोई तरीका नहीं है। इसके लिए विवेक और एक तंत्र के निर्माण की आवश्यकता है।

चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य और जीतो - सूरत के सलाहकार सीए प्रदीप कुमार सिंघी ने सत्र में उद्घाटन भाषण दिया। कार्यक्रम की रूपरेखा जीतो-सूरत के सचिव मितेश गांधी ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में चैंबर उपाध्यक्ष निखिल मद्रासी, पूर्व अध्यक्ष  रूपिन पच्चीगर, नीलेश मंडलेवाला, अरविंद कपाड़िया और आशीष गुजराती तथा उद्यमी कृणाल मेहता, व्यापारी, युवा और पेशेवर उपस्थित थे।