सूरत : वैदिक सनातन धर्म की मूल हैं गो माता : राजेन्द्रदासजी महाराज

यह पृथ्वी सात स्तंभ पर टिकी है, जिसके मूल में गो माता ही हैं

सूरत : वैदिक सनातन धर्म की मूल हैं गो माता : राजेन्द्रदासजी महाराज

अनंत श्रीविभूषित श्रीमज्जगद्गुरु द्वाराचार्य अग्र पीठाधीश्वर एवं मलूक पीठाधीश्वर स्वामी डॉ. श्री राजेंद्रदास देवाचार्य जी महाराज (श्री रैवासा-वृंदावन धाम) ने सूर्यपुत्री तापी तट पर बसी आस्तिक-धार्मिक नगरी सूरत के सिटीलाईट स्थित सुरभिधाम मंडपम में श्री जड़खोर गोधाम गोशाला के सेवार्थ आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के षष्टम दिवस मंगलवार को गो, ब्राह्मण के प्रति अगाध श्रद्धा रखने वाले कथा के मनोरथी श्रीमती गीतादेवी गजानंद कंसल एवं कंसल परिवार व सूरत के समस्त गोभक्तों के समायोजन में भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण के गोचारण कथा का वर्णन किया। 

व्यवस्था संयोजक प्रमोद कंसल एवं मीडिया प्रभारी सज्जन महर्षि ने बताया कि सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का विराम बुधवार 8 जनवरी को होगा। इसदिन कथा सुबह 9 से 12 बजे तक रहेगी। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के षष्टम दिवस मंगलवार को संत शिरोमणि श्री प्रकाशदासजी महाराज (दादुदयाल गोशाला), दिनेश राजपुरोहित(पार्षद), रश्मिबेन साबू (पार्षद), कैलाश हाकिम (फोस्टा प्रमुख), कमल जैन (शालू), आनन्द खेतान, रश्मिबेन साबू (पार्षद), जुगल अग्रवाल, सुभाष टिबड़ेवाल, प्रमोद पोद्दार, शशिभूषण जैन, बालकिशन अग्रवाल (सीए), राजकिशोर शर्मा, विश्वनाथ पचेरिया,अरुण पाटोदिया, अनिल गुप्ता (सीकर नागरिक परिषद) के अलावा श्री जड़खोर गोधाम सेवा समिति के कार्यकर्ता सज्जन महर्षि, सुभाष रावल (सेवा फाउंडेशन), बनवारी मूंदड़ा, जेठाराम ढाका, नेमीचंद शर्मा, राजेश शर्मा, अजय शर्मा, पवन शर्मा, शुभम शर्मा, शिवकुमार चांडक, रामदेव दिवाकर, अशोक डोलिया, गोपाल खेतान, प्रकाश सर्राफ, नवल सोनी ने महाराजजी का अभिवादन कर आशीर्वाद लिया।  

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महाराज जी ने कहा कि वैदिक सनातन धर्म के मूल में गो माता ही हैं। गाय के बिना कोई वैदिक कार्य नहीं होते, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज गो माता के बारे में भारतीयों को बताना पड़ रहा है। गौ माता के बिना मानव का अस्तित्व ही नहीं है। यह पृथ्वी सात स्तंभ पर टिकी है। जिसके मूल में गो माता ही हैं। गौ माता के नष्ट होने पर ब्राह्मणत्व की रक्षा नहीं होगी यानी ब्राह्मणत्व नष्ट हो जाएगा। ब्राह्मणत्व के नष्ट होने पर वेद नष्ट हो जाएंगे और वेद के नष्ट होने पर सदाचार नष्ट हो जाएगा। सदाचार के नष्ट होने से दुराचारी पूरुष पैदा होंगे और दुराचारी पुरुष होने से नारियों का सतित्व नष्ट हो जाएगी। इन सबके नष्ट होने से दुर्व्यवहार में वृद्धि होगी और धर्म की हानि होगी। अ-सती एवं स्वेच्छाचारी नारी के गर्भ से धर्मशील, सत्यवादी, दानशील एवं लोभरहित पुरुष पैदा हो ही नहीं सकते। गो माता के चरणों में चारो वर्ण (ब्राह्मण, क्षतीय, वैश्य, शूद्र) एवं चारों आश्रम ब्रह्चर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं सन्यास समाया हुआ है। गौ माता चलती फिरती काशी हैं। काशी गौ माता एक समान हैं। काशी में कण-कण शिवलिंग है, जबकि गौ माता के अंगों में सभी देवता तो रोम-रोम में तीर्थ समाया हुआ है।  

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विराट परमात्मा की नस-नाड़ी हैं नदियां

 महाराज जी ने कहा कि यमुनाजी की दुर्दशा कभी नहीं देखी थी। अंग्रेजों एवं मुगलकाल में भी यमुनाजी की यह हालत नहीं थी। गंगा के शुद्ध करने के लिए सबसे पहले गंगा में मिलने वाली नदियों को शुद्ध करना होगा। नदियों को निर्मल बनाने के लिए कारखानों के विशैले जल को नदियों को जाने से रोकना होगा। महाराजजी ने कहा कि नदियों को प्रदूषण रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाना चाहिए। इसके लिए नदियों के बसे महानगरों एवं आसपास के कल कारखानों को वहां से हटाया जाए अथवा उसके अत्यंत विषैले पानी को नदियों में प्रवेशित होने से रोकना होगा। इसके साथ ही महानगरों के गंदे पानी को भी पवित्र नदियों में ना गिराया जाए। जिस प्रकार हमारे शरीर में नस-नाड़ियां होती हैं उसी प्रकार नदियां विराट परमात्मा की नस-नाड़ी हैं। इन्हें निर्मल अविरल ही होना चाहिए। 

गोवध मुक्त एवं पवित्र नदियों के शुद्ध हुए बिना भारत का विकास फीका

महाराजजी ने कहा कि सरकारें यदि ईमानदारी से काम करना चाहे तो सब कुछ हो सकता है। प्रधानमंत्री ने निश्चित रूप से भारत का गौरव बढ़ाया है। उनके काम सराहनीय है, लेकिन क्या मां गंगा शुद्ध हो पाईं? देश भर में खूब विकास हो रहा है और होना भी चाहिए। भले ही देश में स्वर्ण पटरियां बिछाकर सोने की बुलट ट्रेनें चलाई जाएं, लेकिन प्राण धरा भारत के गोवध कलंक से मुक्त हुए बिना और देश की नदियों के विशुद्ध, निर्मल व अविरल होने के अभाव में भारत का विकास फीका है। महाराज जी ने कहा कि पहले भी कुंभ हुआ करते थे लेकिन इस बार जो कुंभ की तैयारियां हो रही है वह एक अलग ही है। एक महापुरुष योगी ने उत्तर प्रदेश को भारत का सर्वोत्तम प्रदेश बना दिया। एक समय वह भी था जब कुंभ मेला का प्रभारी तत्कालीन सरकार के मंत्री गैर हिन्दू को बना दिया गया था।

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