सूरत : एसजीसीसीआई ने केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो के विवादित नोटिस को रद्द करने की मांग की
एसजीसीसीआई ने नोटिस को वापस लेने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्रीनिर्मला सीतारमण को पत्र सौंपा
सूरत : दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की केमिकल डाइज एंड इंटरमीडिएट्स एंड फार्मा कमेटी की बैठक कल हुई, जिसमें मुख्य रूप से सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स द्वारा 2 सितंबर 2024 को प्रकाशित सार्वजनिक सूचना के संबंध में गंभीर चर्चा की गय। इस सार्वजनिक सूचना में अंतर्राष्ट्रीय विशेष निगरानी सूची में शामिल लगभग 81 प्रकार के गैर-अनुसूचित रसायनों का समावेश किया गया है। इन रसायनों का उपभोग, आयात या निर्यात करने वाले उद्योग/व्यापारियों को केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की वेबसाइट पर मासिक रिपोर्ट करना आवश्यक है।
चैंबर की कमेटी मीटिंग में उद्योगपतियों ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की ओर से जारी सार्वजनिक नोटिस का विरोध किया। केमिकल उद्योगपतियों ने कहा कि कई ऐसे केमिकल हैं जो दैनिक उपयोग के हैं। इनके उद्योग में कुछ रसायनों का उपयोग बहुत ही कम मात्रा में किया जाता है। यह संभव है कि इस रसायन के स्थानांतरण के दौरान प5/7 किग्रा की हानि (लोस) हो सकती है। छोटे और मध्यम उद्यमों के पास अपने व्यवसाय के स्थान पर ऐसी रिपोर्ट बनाने और अपलोड करने की क्षमता या समझ नहीं हो सकती है, इसलिए उपरोक्त सार्वजनिक नोटिस को लागू करना अत्यधिक अव्यावहारिक है।
व्यवसायियों की राय थी कि जब वे जीएसटी रिटर्न दाखिल करते है, उसमें माल की खरीद/बिक्री रिपोर्ट शामिल होती ही है। साथ ही उपरोक्त डेटा भारत सरकार के रसायन विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया है। उस स्थिति में, उद्यमियों के लिए ये अतिरिक्त नए अनुपालन करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स का यह सार्वजनिक नोटिस उद्यमियों के लिए ईज ऑफ डूइंग में मुश्किलें पैदा कर सकता है। जबकि भारत सरकार ईज ऑफ डूइंग को बढ़ावा दे रही है। गौरतलब है कि सूरत समेत दक्षिण गुजरात की इकाइयां भारत के कुल रसायन उत्पादन में 33 प्रतिशत का योगदान करती हैं।
इस संबंध में, दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने कहा कि, इस मामले पर विचार करते हुए, चैंबर ऑफ कॉमर्स ने तुरंत केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मलाबेन सीतारमण को केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो कीइस सार्वजनिक नोटिस को रद्द करने के लिए रजुआत किया है। इसके साथ ही भारत के केंद्रीय उद्योग मंत्री पीयूषभाई गोयल से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया