सूरत : थायरॉयड नोड्यूल का सफल इलाज: नई तकनीकों से मरीजों की ज़िंदगी में बदलाव

गैर-सर्जिकल थायरॉयड उपचार विधियों ने कई लोगों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव लाए हैं 

सूरत : थायरॉयड नोड्यूल का सफल इलाज: नई तकनीकों से मरीजों की ज़िंदगी में बदलाव

सूरत : भारत में थायरॉयड नोड्यूल का इलाज तेजी से बदल रहा है। पहले जहां मरीजों को सर्जरी कराने की सलाह दी जाती थी, वहीं अब नई तकनीकों जैसे कि रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन (RFA) और माइक्रोवेव एब्लेशन (MWA) ने मरीजों के जीवन को बेहतर बना दिया है। इन गैर-सर्जिकल थायरॉयड उपचार विधियों ने कई लोगों की ज़िंदगी में सकारात्मक बदलाव लाए हैं और उन्हें बिना किसी बड़ी सर्जरी के स्वस्थ जीवन जीने में मदद की है।
गैर-सर्जिकल विकल्पों की बढ़ती मांग

सर्जरी के बिना थायरॉयड उपचार अब इन नवीनतम तकनीकों के माध्यम से किया जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि यह बदलाव मरीजों के लिए कई फायदेमंद साबित हो रहा है। पहले थायरॉयड नोड्यूल के इलाज में आमतौर पर सर्जरी की जरूरत होती थी, जिससे मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ता था और ठीक होने में भी काफी समय लगता था। लेकिन अब मरीज RFA और MWA जैसी तकनीकों को अपनाकर जल्दी और सुरक्षित तरीके से ठीक हो रहे हैं।

शालिनी वर्मा (42 वर्ष) ने हाल ही में RFA के जरिए थायरॉयड नोड्यूल का इलाज करवाया। उन्होंने बताया, "जब मुझे अपने नोड्यूल के बारे में पता चला, तो सर्जरी के डर से मैं काफी चिंतित थी। लेकिन जब मैंने RFA के बारे में सुना, तो मैंने इसे आजमाने का निर्णय लिया। प्रक्रिया बहुत सरल थी और मैं एक हफ्ते में अपने काम पर लौट आई।"

इस तरह की सकारात्मक कहानियाँ अब आम हो गई हैं। ऐसे कई मरीज हैं जिन्होंने बिना सर्जरी के ठीक होकर अपनी ज़िंदगी में नई शुरुआत की है।
सर गंगा राम अस्पताल के डॉ. राघव सेठ, डॉ. अरुण गुप्ता, और डॉ. अजित यादव का कहना है कि नई तकनीकों की वजह से मरीज बिना किसी डर के इलाज करवा रहे हैं। "इन प्रक्रियाओं से मरीजों को जल्दी ठीक होने का मौका मिलता है और उन्हें सर्जरी के दर्द से नहीं गुजरना पड़ता," डॉ. सेठ ने कहा। उनका मानना है कि मरीज अब अधिक जानकार हो गए हैं और वे बिना सर्जरी के सुरक्षित और प्रभावी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।
भारत के प्रमुख अस्पतालों में थायरॉयड एब्लेशन तकनीक जैसे RFA और MWA तेजी से उपलब्ध हो रही हैं। सर गंगा राम अस्पताल में, ये प्रक्रियाएं उच्च गुणवत्ता और मानकों के साथ की जाती हैं। डॉ. राघव सेठ ने बताया, "हमारी टीम इन तकनीकों में विशेषज्ञता रखती है और हम मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

जैसे-जैसे मरीज इन नई तकनीकों के बारे में जागरूक हो रहे हैं, डॉक्टरों का मानना है कि आने वाले समय में ये विधियां भारत में थायरॉयड नोड्यूल उपचार के लिए सामान्य उपचार बन जाएंगी।

 

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