सूरत : बच्चों का भविष्य: एक अनदेखी प्राथमिकता

सूरत में आयोजित कार्यशाला ने बच्चों के अधिकारों और विकास पर जोर दिया

सूरत : बच्चों का भविष्य: एक अनदेखी प्राथमिकता

सूरत: सूरत पीडियाट्रिक एसोसिएशन चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यशाला में, बाल रोग विशेषज्ञों ने बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि भारत के बच्चों को अक्सर राजनीतिक और सामाजिक एजेंडे में नजरअंदाज किया जाता है।

डॉ. प्रशांत कारिया ने जानकारी देते हुए कहा कि  कार्यशाला में, विशेषज्ञों ने बच्चों की वृद्धि के पैटर्न, उनके अधिकारों और भारत में बच्चों के लिए एक समर्पित मंत्रालय की आवश्यकता पर चर्चा की।
 
डॉ. राजेश चौखानीने कहा कि प्रत्येक बच्चे की वृद्धि क्षमता अनूठी होती है। उन्होंने समझाया कि वृद्धि का मतलब सिर्फ वजन और ऊंचाई बढ़ना नहीं है, बल्कि सिर के घेरे में भी वृद्धि शामिल है। भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी (IAP) ने विकास चार्ट ( ग्रोथ चार्ट ) तैयार किए हैं, जिनसे डॉक्टर बच्चों की वृद्धि के पैटर्न देखकर विभिन्न बीमारियों का पता लगा सकते हैं। डॉ. चौखानी के अनुसार, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि बच्चे कीविकास गतिपर ध्यान दिया जाए, जो यह दर्शाता है कि बच्चा समय के साथ कितनी अच्छी तरह प्रगति कर रहा है।

डॉ. समीर दलवाईने एक व्यापक मुद्दे को उठाते हुए कहा कि भारत की एक-तिहाई आबादी बच्चे और किशोर हैं, लेकिन उन्हें अक्सर राजनीतिक और सामाजिक एजेंडा में नजरअंदाज किया जाता है। उन्होंने बच्चों के अधिकारों, जैसे जीवित रहने का अधिकार, बीमारियों से सुरक्षा और दुरुपयोग से बचाव पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
 
डॉ. वाई.के.आमड़ेकरने माता-पिता की चिंता को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों के वजन और ऊंचाई की नियमित रूप से जांच होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को सही से विकसित होने का अधिकार है, जिसके लिए उन्हें जन्म से लेकर किशोरावस्था तक विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों का मस्तिष्क जीवन के पहले तीन वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ता है। इस दौरान यदि उन्हें उचित पोषण दिया जाए, तो वे शारीरिक रूप से ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी अच्छी तरह से विकसित होंगे।

विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए एक समर्पित मंत्रालय बनाने से उनकी भलाई सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। इस मंत्रालय का काम बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा से संबंधित सभी मुद्दों को संबोधित करना होगा।

भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी (IAP) ने बच्चों के चार मौलिक अधिकारों को रेखांकित किया है। जीवित रहने का अधिकार, विकास का अधिकार, सुरक्षा का अधिकार और भागीदारी का अधिकार।

बच्चों के अधिकारों की वकालत का कार्य जारी रहना चाहिए। राजनीतिक दलों, नागरिक समाज और माता-पिता को मिलकर बच्चों के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम करना होगा।

 

 

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