सूरत  :  गारमेन्ट्स इंडस्ट्रीज में तेजी होने से बढ़ रही है नीटिंग कपड़ों की मांग 

नीटिंग-वीविंग उद्योग में जबरदस्त तेजी

सूरत  :  गारमेन्ट्स इंडस्ट्रीज में तेजी होने से बढ़ रही है नीटिंग कपड़ों की मांग 

देशभर की मंडियों में कपड़ों की मांग बढ़ने से सूरत टेक्सटाइल मार्केट में कपड़ों की खूब मांग हो रही है, जिससे टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े सभी उद्योग में तेजी देखी जा रही है। इन दिनों नीटिंग एवं वीविंग उद्योग में भी जबरदस्ती जी देखी जा रही है। सिल्क सिटी सूरत में एक दशक पूर्व अधिकांश साड़ियां ही बनाई जाती थी। लेकिन बदलते ट्रेंड एवं फैशन के साथ ही साड़ियों की मांग निरंतर कम होने करण सूरत के अनेक व्यापारी गारमेंट सहित अन्य उद्योगों की ओर रुख किया है, जिसका परिणाम अब दिखने लगा है। यही कारण है कि दिनों दिन नीटिंग कपड़ों की मांग बढ़ती जा रही है। 

नीटिंग कपड़ों का कारोबार सभी 365 दिन होते हैं, लेकिन हाल के दिनों में अच्छी ग्राहकी :  प्रथम अग्रवाल

सारोली स्थित सालासर मार्केट में मैप्स क्रिएशन के नाम से नीटिंग कपड़ों के कारोबार से जुड़े  प्रथम अग्रवाल ने लोकतेज से बताया कि नीटिंग के दो प्रकार की मशीनें होती हैं। वार्प नीटिंग एवं सर्कुलर नीटिंग। वार्प नीटिंग मशीन में नेट (जालीदार) कपड़ा तैयार होता है। इस जालीदार कपड़े का जूते, बैग, अटैची आदि में उपयोग किया जाता है। जबकि सर्कुलर नीटिंग मशीनों में दो प्रकार की मशीन आती है। इंटरलॉक डबल जर्सी एवं इंटरलॉक सिंगल जर्सी। इन दोनों मशीनों पर अलग-अलग प्रकार के कपड़े तैयार किए जाते हैं। सभी कपड़े गारमेंट्स में उपयोग किए जाते हैं। साथ ही साथ टेंट एवं मंडप में भी उपयोग होते हैं। उन्होंने बताया कि हाल के दिनों में बहुत अच्छा कारोबार चल रहा है। मार्केट में अच्छी मांग है। अच्छी मांग होने से व्यापार का आनंद ही कुछ अलग होता है। हालांकि नीटिंग कपड़ों का कारोबार सभी 365 दिन होते हैं, लेकिन हाल के दिनों में अच्छी ग्राहकी बनी हुई है। यह ग्राहकी आगामी दिनों में भी बने रहने के आसार हैं। 

एंटी डंपिंग को लेकर सरकार से पेशकश करेंगे नीटिंग कारोबारी :  अशोक सिंघल

नीटिंग कारोबारी अशोक सिंघल ने बताया कि चीन के माल आयात होने वाले कपड़े पर एंटी डंपिंग लगाए जाने के बाद नीटिंग कारोबारी परेशान है और आगामी दिनों में यानी दीपावली के बाद सरकार से पेशकश करेंगे।  उन्होंने बताया कि यहां के और बाहर से विशेष कर चीन से आयातित फिनिश कपड़े में तकरीबन 30 प्रतिशत का अंतर है। यही कारण है की नीटिंग एवं वीविंग कारोबारी बाहर के कपड़े को पसंद करते हैं। यहीं नही बल्कि रॉ मैटेरियल पर भी एंटी डंपिंग होने से पीओवाय ही महंगा हो जाता है जिससे यहां के कपड़े महंगे होते हैं। आगामी दिनों में नीटिंग कारोबारी इस बारे में सरकार से चर्चा करेंगे।

अमरोली की तरह कड़ोदरा में लगाया पोस्टर :  विजयभाई मांगूकिया

वीविंग कारोबारी वीवर विजयभाई मांगूकिया ने बताया कि हाल के दिनों में कारोबार अच्छा चल रहा है, लेकिन दो सप्ताह पूर्व अमरोली में जिस तरह से पोस्टर लगाए गए थे इस तरह के पोस्टर कडोदरा में भी लगाए गए हैं। इस तरह की हरकत करने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरुरत है। प्रशासन की ओर से कोई एक्शन नहीं लिए जाने के कारण असामाजिक तत्व जैसे लोगों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। उन्होंने बताया कि अमरोली में जो पोस्ट की घटना हुई थी उससे अमरोली का वीविंग उद्योग उबर चुका है यानी शत प्रतिशत कारखाने सुचारू रूप से चलने लगे हैं। हालांकि श्रमिकों की दर बढ़ाने की मांग को लेकर 80 प्रतिशत वीवरों ने भाव नहीं बढ़ाया है, जबकि जिन वीवर के यहां रेट कम था ऐसे 20 प्रतिशत वीवरों ने रेट बढ़ा दिया है। 

विजयभाई मांगूकिया ने बताया कि पोस्टर की घटना के बाद 7-8 दिनों तक कारखाने बंद रहने से लूम्स मास्टरों एवं श्रमिकों को तकरीबन साढे चार से पांच करोड़ तक का नुकसान हुआ होगा। अमरोली के सभी लूम्स कारखानों में तकरीबन 30 लाख मीटर कपड़ा प्रतिदिन तैयार होता है। यदि रु. 2 प्रति मीटर की दर से ही गणना करें तो रु.60 लाख प्रतिदिन का होता है। यह तो मात्र श्रमिकों का होता है। इसके अलावा लूम्स मास्टरों का वेतन 35 से 40000 रुपये प्रति माह यानी प्रति दिन 1000 रुपये होता है। इसी तरह बोबिन भरने वालों कारीगरों का भी 20000 रुपये मासिक वेतन यानी 700-800 रुपये प्रतिदिन  
होता है। 

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