सूरत : कपड़ा मार्केट में तेजी होने से बाहर की मंडियों के लिए नहीं मिल रही हैं ट्रकें, रेलवे से भेजे जा रहे हैं पार्सल
पार्सल रखने की जगह नहीं, पार्सल भेजने के लिए ट्रकें नहीं
बीते वर्ष अप्रैल में शादी के बहुत ही कम मुहूर्त होने के बाद मई-जून में शादी के मुहूर्त नहीं होने से कपड़ा मार्केट में सुस्त कारोबार रहा। श्रावण मास की शुरुआत से ही कपड़ा मार्केट में जो ग्राहकी शुरु हुई वह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। आलम यह है कि कपड़ा मार्केट में पार्सलों का अंबार लगा हुआ है। ट्रांसपोर्टरों के पास गोदामों में पार्सल रखने की जगह नहीं है। मार्केटों से पार्सल उठाने वाले श्रमिक दुकानों से पार्सल उठाकर नीचे रख दे रहे हैं और 4 से 5 दिनों तक पार्सल मार्केट में ही पड़े रहते हैं। हाल में कपड़ा मार्केट में ग्राहकी ऐसी कि सभी व्यवस्थाओं बौनी साबित हो रही हैं। एक ओर जहां कुछ ट्रांसपोर्टरों ने माल बुकिंग लेना ही बंद कर दिया, वहीं कपड़ा उद्यमियों ने दीपावली से पहले का आर्डर लेना भी बंद कर दिए हैं। ट्रकों की कमी एवं पार्सलों के दबाव के कारण प्रमुख ट्रांसपोर्टरों ने अब रेलवे द्वारा पार्सलों को बाहर की मंडियों में भेज रहे हैं।
दीपावली के बाद भी बनी रहेगी अच्छी ग्राहकी : कमलेश जैन
मिलेनियम मार्केट ट्रेडर्स एसोसिएशन के प्रमुख कमलेश जैन ने लोकतेज से बताया कि आगामी दिनों दीपावली का त्योहार होने के कारण मार्केट में व्यापारी भाइयों की भरमार हैं। बहुत अच्छी ग्राहकी अभी कपड़ा बाज़ार में है। मिलेनियम मार्केट-1 में पार्सल 5-5 दिन यही पड़े रहते हैं। क्योंकि ट्रांसपोर्ट में माल रखने की जगह नहीं है। मार्केट के प्रांगण और पैसेज में पार्सलों के अंबार लगे हुए हैं। दीपावली के बाद भी बहुत ही अच्छी ग्राहकी रहने वाली है। उन्होंने बताया कि बाहर की मंडियों के जो भी व्यापारीभाई आ रहे हैं उनसे दीपावली के बाद माल भेजने की बात कही जा रही है और वे दीपावली के बाद भी माल लेने को तैयार है। परिणाम स्वरुप दिवाली के बाद भी अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है।
ट्रांसपोर्टर रेलवे से भेज रहे हैं पार्सल : नीरज सिंह
आरके ट्रांसपोर्ट के नीरज सिंह ने लोकतेज से बताया कि बीते वर्ष मंदी के कारण सूरत के ट्रांसपोर्ट से आधारित ट्रक मालिक अपने ट्रकों के रूट बदल दिए हैं। जिससे हाल के दिनों में ट्रकों की कमी महसूस हो रही है। अगस्त महीने से आज का कारोबार लगभग दो गुना हो गया है। पार्सल रखने की जगह नहीं है और बाहर की मंडियों के लिए ट्रकें भी नहीं मिल रही हैं। परिणाम स्वरूप हम पांच ट्रांसपोर्टर मिलकर गुरुवार को पटना के लिए रेलवे के 20 कोच बुक किए हैं, उसमें पार्सल भेज रहे हैं। इन 20 कोचों में से 10 हमारे ट्रांसपोर्ट से भरे जाएंगे, जबकि शेष 10 कोच चार ट्रांसपोर्टर मिलकर भरेंगे।
नीरज सिंह ने बताया कि इस तरह का तेजी बहुत कम देखने को मिलती है। हाल के दिनों में कारोबार चरम पर है। सुबह 10 बजे ऑफिस आने के बाद शाम को जाने का समय ही नहीं मिलता। आगामी एक महीने तक इस तरह से कारोबार होने की पूरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, विजयवाड़ा में पूर्व में आई बाढ़ और हाल में बिहार में बाढ़ के बावजूद ग्राहकी की आलम यह है कि सभी व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही हैं।
बाहर की मंडियों के लिए नहीं मिल रही हैं ट्रकें : युवराज देशले
सूरत टेक्सटाइल गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के प्रमुख युवराज देशले ने बताया कि हाल के दिनों में 290 ट्रकें बाहर की मंडियों में भेजी जा रही हैं जो आगामी कुछ ही दिनों में यानी सोमवार तक ही यह आंकड़ा 300 तक पहुंच सकती है। ट्रांसपोर्ट गोडाउन में पार्सल रखने की जगह नहीं है। दो-तीन दिनों तक मार्केट में ही पार्सल पड़े रहते हैं। ट्रकों की कमी भी बनी हुई है। मंदी के दिनों में काम कम होने से ट्रक मालिक अपने ट्रकों को दूसरे रुट पर डायवर्ट कर दिया है, जिससे आज सूरत के ट्रांसपोर्टरों को ट्रकों की कमी महसूस हो रही है।