सूरत : रेडीमेड कपड़े की मांग अधिक होने से गारमेंट इंडस्ट्री की ओर रुख कर रहे हैं कपड़ा कारोबारी 

प्रत्येक सीजन में उपयोगी होते हैं गारमेन्ट के कपड़े : विनोद कंदोरी

सूरत : रेडीमेड कपड़े की मांग अधिक होने से गारमेंट इंडस्ट्री की ओर रुख कर रहे हैं कपड़ा कारोबारी 

वर्तमान में रेडीमेड कपड़ों की मांग अधिक होने से कपड़ा कारोबारी साड़ी, सूट के साथ-साथ गारमेंट इंडस्ट्रीज की ओर भी रुख कर रहे हैं। रेडीमेड कपड़ों की मांग हर सीजन में होने से साल भर इन कपड़ों की मांग बनी रहती है। कपड़ा व्यापार से जुड़े कई व्यापारी आगामी दिनों में गारमेंट इंडस्ट्रीज की ओर रुख कर सकते हैं। वर्तमान में साड़ी एवं सूट के पैटर्न यानी ट्रेंड कम होने की वजह से अब व्यापारी फैंसी गारमेंट की ओर रुख कर रहे हैं। लाइक्रा के कारोबार से जुड़े विनोद कंदोरी ने बताया कि मेरा सरोली में पवनसूत प्रिन्ट नाम से श्रीकुबेरजी डेक मार्केट, कडोदरा रोड सूरत में लाईक्रा का कारोबार है। पिछले 30 साल से इस व्यवसाय से जुड़े हैं। उन्होंने बताया हमारे यहां तकरीबन 30-35 वैरायटियां यानी हमारे यहां है, जिसकी कीमत तकरीबन 150 से 250 रुपए के बीच होती है। हमारे लाइक्रा के सभी वैरायटी रेगुलर होने से उनकी मांग हमेशा बनी रहती है। सूरत के अलावा दिल्ली, कोलकाता, जयपुर आदि प्रमुख मंडियों में रेगुलर कपड़े की मांग बनी रहती है। 

हाल में कारोबार के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए विनोदभाई ने बताया कि हाल में कारोबार अच्छी तरह चल रही है। मंडियों में मांग बनी हुई है। भविष्य में क्या लाइक्रा के अलावा अन्य गारमेंट की तरफ रुख कर सकते हैं? का जवाब देते हुए विनोद भाई ने कहा कि हम अपने इसी व्यवसाय से खुश हैं और मैं अपने अनुभव इसी कारोबार में देना चाहता हूं।

दक्षिण भारत की मंडियों में त्यौहारों पर रहती है ग्राहकी :  गोविन्दभाई डांगरा

महावीर टेक्सटाइल मार्केट के कपड़ा कारोबारी गोविंद डांगरा ने बताया कि मेरा तो साड़ी का कारोबार साड़ी का है और मेरी सप्लाई आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना एवं कर्नाटक आदि मंडियों में किया जाता है, लेकिन इन मंडियों में सीजनल कारोबार होता है। उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में पोंगल, ईद एवं दीपावली तथा आंध्र प्रदेश में पोंगल, श्रावण मास में साड़ी का कारोबार अच्छा रहता है। जबकि केरल में क्रिसमस, ईद, ओणम तथा कर्नाटक में ओणम, विजयदशमी एवं तेलंगाना में पोंगल, दीपावली व विजयादशमी, ईद पर कारोबार होता है। इन सबके अलावा मार्केट सुस्त रहता है।

 क्या दक्षिण भारत राज्यों में शादी की सीजन में तेज ग्राहकी नहीं रहती?  का जवाब देते हुए गोविंदभाई ने बताया कि दक्षिण भारत की सभी राज्यों में शादी में कांचीपुरम, एरोड एवं कोचमपल्ली आदि की सिल्क साड़ियां ही उपयोग में ली जाती है। सूरत की साड़ियां दक्षिण भारत में मात्र देने-लेने के उपयोग में ही किया जाता है। शादी के सीजन में साड़ियों की मांग उत्तर भारत की मंडियों में खूब होती है। कारण कि उत्तर भारत में साड़ी का अच्छा प्रचलन है। यहीं कारण है कि साड़ियों का खपत उत्तर भारत में अधिक होती है। 

क्या साड़ी के साथ गारमेन्ट इंडस्ट्री की ओर रुख कर सकते हैं? का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि हालांकि साड़ी के व्यवसाय से संतुष्ट हैं, लेकिन व्यापार की पहलुओं को देखते हुए आगामी दिनों में गारमेंट इंडस्ट्री की ओर रुख कर सकते हैं। इसके लिए नजर रखे हुए हैं और जगह भी देख रहे हैं। 

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