सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित टेक्सटाईल वीक में उद्योग के भविष्य पर मंथन

जीएफआरआरसी द्वारा आयोजित कपड़ा सप्ताह में उद्योगपतियों को मिला मार्गदर्शन

सूरत : चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित टेक्सटाईल वीक में उद्योग के भविष्य पर मंथन

सूरत : दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का ग्लोबल फैब्रिक रिसोर्स एंड रिसर्च सेंटर (जीएफआरआरसी) ने 5 दिसंबर, 2014 को सूरत में 'टेक्सटाइल वीक' का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में कपड़ा उद्योग के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श हुआ और उद्योगपतियों को मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में चैंबर के पूर्व अध्यक्ष एवं फियास्वी के चेयरमैन भरत गांधी, भारत सरकार के पूर्व अतिरिक्त कपड़ा सचिव सत्य प्रकाश वर्मा और लूथरा ग्रुप के चेयरमैन गिरीश लूथरा ने भाग लिया। उन्होंने सूरत के कपड़ा उद्योगपतियों और व्यापारियों को नवीनतम रुझानों और चुनौतियों से अवगत कराया।

चैंबर ऑफ कॉमर्स के माननीय मंत्री नीरव मांडलेवाला ने कहा कि भारतीय कपड़ा उद्योग का मूल्य वर्ष 2013 में 120 बिलियन डॉलर था और वर्ष 2030 तक इसके 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि कपड़ा सप्ताह जैसे मंच उद्योगपतियों को एक साथ लाकर उद्योग के विकास में योगदान देते हैं।

फियास्वी के चेयरमैन भरत गांधी ने सरकार से एमएसएमई उद्यमियों को इनोवेशन के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि टेक्निकल टेक्सटाइल में भारी वृद्धि के अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।

भारत सरकार के पूर्व अतिरिक्त कपड़ा सचिव सत्य प्रकाश वर्मा ने यूरोपीय संघ के नए नियमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये नियम कपड़ा उद्योग के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे, लेकिन उद्यमियों को स्थायित्व, पुन: प्रयोज्य और ऊर्जा दक्षता पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

लूथरा ग्रुप के चेयरमैन गिरीश लूथरा ने कहा कि टेक्निकल टेक्सटाइल, जियो टेक्सटाइल और एग्रीटेक में उद्यमियों के लिए कई अवसर हैं। उन्होंने छोटे उद्यमियों को एक साथ आकर वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का आग्रह किया।

जीएफआरआरसी के अध्यक्ष गिरधर गोपाल मूंदडा ने बताया कि कपड़ा सप्ताह का उद्देश्य कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देना और उद्योगपतियों को नवीनतम तकनीकों और रुझानों से अवगत कराना है।

सूरत में आयोजित कपड़ा सप्ताह ने कपड़ा उद्योग के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श किया और उद्योगपतियों को मार्गदर्शन प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने उद्योगपतियों को एक मंच प्रदान किया जहां वे एक-दूसरे के साथ विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं और उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान ढूंढ सकते हैं।

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