सूरत : काशी में रहकर कालभैरव का दर्शन न करना पाप है : स्वामी गोविंददेव गिरिजी
रविवार को कथा सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक रहेगी
शहर के वेसू कैनाल रोड स्थित राजहंस कॉस्मिक में चल रही शिव महापुराण कथा के छठे दिन शनिवार को स्वामी गोविंददेव गिरिजी महाराज ने भगवान शिव जी की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव सबकी रक्षा के लिए अलग-अलग रुप धारण करते हैं। कालभैरव भी भगवान शिव के अंश है, उनका काम रक्षा करना है। काल भैरव काशी क्षेत्र के कोतवाल हैं। काल भी तुमसे डरे इसलिए भगवान शिव उनका नाम काल भैरव रखा। अध्यात्मिक नगरी काशी मुक्तपुरी है और भगवान शिव को बहुत प्रिय है। काशी की रक्षा काल भैरव करते हैं।
महाराजजी ने कहा कि काशी जाने के बाद भगवान बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद काल भैरव का दर्शन नहीं करने पर पूर्ण फल नहीं मिलता है। साथ ही काशी में रहकर कालभैरव का दर्शन न करना ही अपने आप में पाप है। महाराजजी ने कहा कि भक्तों की निष्ठा की परीक्षा भगवान लेते हैं। हमारी अनन्यता की परीक्षा होती रहती है। वैदिक परंपरा में अग्निहोत्र की प्रक्रिया होती है। यज्ञ के लिए भगवान शिव यज्ञेश के रुप में प्राकट्य होते हैं। यही नहीं बल्कि भगवान शिव ऋषि दुर्वासा, ऋषि दधिची आदि के रुप में जीव की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं। साथ ही भगवत्सेवा के लिए हनुमान के रुप में अवतरित होकर भगवान श्री राम की सेवा करते हैं।
महाराज जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गर्भ संस्कार स्वतंत्र विषय है और इसका जीवन में बड़ा महत्व है। बच्चों को संस्कार गर्व से ही प्रारंभ हो जाता है। आधुनिक समाज को कोसते हुए महाराज ने कहा कि इन दिन होटलों में जन्मदिन मनाने की रिवाज शुरु हो गई है जो हमारे समाज को गर्त की ओर ले जा रही है। जब लोग होटलों में जन्म दिन मनाएंगे तो संतान बिगड़ैल ही होगा। बेहतर होगा कि लोग मंदिर और गौशालाओं में अपना एवं अपने बच्चों का जन्मदिन मनाएं, ताकि युवकों एवं बच्चों में भारतीय संस्कृति की झलक दिखे। महाराजजी ने कहा कि जिस घर में स्त्री कष्ट में रहती है उस घर में लक्ष्मी नहीं रुकती। स्त्री का सम्मान समाज के लिए हितकर है। समाज का उद्धार स्त्री ही करती है, अच्छी माताएं बन जाए तो राष्ट्र महान बन जाता है। शनिवार को विकास डोकानिया, समीर शर्मा. अजय मारू, प्रकाश चौधरी, पीयूष सराफ, अभिनव गर्ग, आशीष जैन, प्रफुल्ल अग्रवाल, आयुष मित्तल, शुभम मित्तल, जुगल भूतड़ा, ओमप्रकाश मारु, मधुर झुनझुनवाला एवं गोपालकृष्ण झुनझुनवाला ने महाराजजी से आशीर्वाद लिया।