सूरत : सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की सहकारी मंडली ने मनाया 36वां स्थापना दिवस, सेवा निवृत्त अध्यापकों का किया सम्मान

कुलपति डॉ. कमलसिंह डोडिया और नागरिक बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्री नलिनभाई वसा रहे उपस्थित

सूरत : सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की सहकारी मंडली ने मनाया 36वां स्थापना दिवस, सेवा निवृत्त अध्यापकों का किया सम्मान

सूरत । सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कर्मचारियों की ग्राहक और धिराण सहकारी मंडली की छत्तीसवीं साधारण सभा और सेवा निवृत्त सभासदों का सम्मान समारोह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कमलसिंह डोडिया और नागरिक बैंक के पूर्व अध्यक्ष श्री नलिनभाई वसा की उपस्थिति में आयोजित किया गया था।

संप, सेवा और सहयोग की उत्कृष्ट भावना से कार्यरत सौराष्ट्र विश्वविद्यालय की शैक्षणिक कर्मचारियों की ग्राहक और धिराण सहकारी मंडली छत्तीस वर्षों से निरंतर कार्यरत है। इस मंडली की छत्तीसवीं वार्षिक साधारण सभा गुजराती भवन के सेमिनार हॉल में मिली थी।

इस साधारण सभा के साथ-साथ आयोजित सेवा निवृत्त अध्यापकों के अभिवादन समारोह में सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के सम्माननीय कुलपति श्री डॉ. कमलसिंह डोडिया अध्यक्ष के रूप में तथा राजकोट नागरिक सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन सम्माननीय श्री नलिनभाई वसा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहें।

इस कार्यक्रम में, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के शैक्षणिक कर्मचारियों की ग्राहक और धिराण सहकारी मंडली द्वारा हाल ही में सेवा निवृत्त हुए हैं, ऐसे इस विश्वविद्यालय के प्रो. डॉ. समीर वैद्य (पूर्व अध्यक्ष, गणितशास्त्र भवन) और प्रो. डॉ. हितेंद्र जोशी (पूर्व अध्यक्ष, रसायनशास्त्र भवन) का गरिमापूर्ण अभिवादन किया गया। इनके साथ ही,
नवनियुक्त ऐसे १२ अध्यापकों का भी स्वागत किया गया। विश्वविद्यालय से संलग्न इन अध्यापकों को सहकारी संस्था की कार्यप्रणाली से अवगत किया गया। शाब्दिक स्वागत करते हुए मंडली के प्रमुख प्रो. डॉ. जयदीपसिंह डोडिया ने जानकारी दी थी कि संप, सेवा और सहयोग के मंत्र को हमारी सहकारी मंडली संपूर्ण रूप से चरितार्थ करती है।कार्यक्रम के मुख्य मेहमान श्री नलिनभाई वसा ने अपने प्रासंगिक उद्बोधन में सहकारिता और आध्यात्मिकता के विषय में अपने विचार प्रस्तुत करते हुए सभी को मार्गदर्शन दिया था।
उन्होंने सूचित किया था कि सहयोग और आध्यात्मिकता में समानता होती है। जैसे आध्यात्मिकता में लोक सेवा होती है, वैसा ही कार्य सहकारी मंडली भी करती है। 
शैक्षणिक सहकारी मंडली का सूत्र संप, सेवा और सहयोग वास्तव में तो आध्यात्मिक शब्द हैं। यह मंडली विशेष रूप से प्रगति करती रहे और अधिक से अधिक लोक सेवा करती रहे, ऐसी मुझे आशा और अपेक्षा है।

समारोह के अध्यक्ष के रूप में संबोधन करते हुए कुलपति श्री डॉ. कमलसिंह डोडिया ने बताया था कि विश्वविद्यालय में कार्यरत इस सहकारी मंडली से अनेक अध्यापक लाभान्वित हुए हैं। यह मंडली अपने सूत्र को सार्थक करती है। इस प्रकार अध्यापकों को भी मानसिक शांति प्राप्त होती है कि उन्हें कभी भी आर्थिक समस्याओं का अनुभव नहीं होगा। कोरोना के समय में भी मंडली द्वारा अध्यापकों को आवश्यक सहायता यथाशीघ्र दी गई थी, यह सराहनीय है।

नलिनभाई वसा ने जब सहकारिता और आध्यात्मिकता के विषय में इतनी सुन्दर बात की है, तब मेरा अधिक कुछ कहना उचित नहीं है। उनके व्याख्यान से प्रेरित होकर हम कुछ नया सोचेंगे और सहकारी क्षेत्र में नई दिशा में कार्य कर पाएंगे। 

इस कार्यक्रम की सफलता हेतु अध्यापकों की सहकारी मंडली के वर्तमान प्रमुख प्रो. डॉ. जयदीपसिंह डोडिया, उपप्रमुख डॉ. जे. ए. भालोडिया, मंत्री प्रो. डॉ. वी. जे. कनेरीया, सहमंत्री प्रो. डॉ.  योगेश जोगसण, कोषाध्यक्ष प्रो. डॉ. रंजनबहन खुंट, कारोबारी के सदस्य प्रो. डॉ.संजय भायाणी, प्रो. डॉ. आर. बी. झाला, प्रो. डॉ. अतुल गोसाईं, प्रो. डॉ. निकेश शाह, प्रो. डॉ. रेखाबा जाडेजा, प्रो. डॉ. मनीष शाह,  प्रो. डॉ. अश्विन सोलंकी और प्रो. डॉ. भरत खेर वगैरह ने सहयोग प्रदान किया था।

समग्र कार्यक्रम का संचालन प्रो. डॉ. योगेश जोगसण द्वारा किया गया था। आभार-दर्शन उपप्रमुख डॉ. जयंत भालोडिया द्वारा किया गया था। इस कार्यक्रम में भौतिकशास्त्र भवन के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डॉ. हिरेन जोशी और प्रो. डॉ. मिहिर जोशी विशेष रूप से उपस्थित रहें।

श्री गोविन्द गुरु विश्वविद्यालय, गोधरा के कुलपति श्री प्रो. डॉ. प्रतापसिंह चौहाण ने कार्यक्रम की सफलता हेतु शुभकामना संदेश प्रेषित किया था।

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