सूरत : एसजीसीसीआई द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विवनेट प्रदर्शनी का उद्घाटन

पूर्व कपड़ा मंत्री दर्शना जरदोष और निवृत्त कपड़ा आयुक्त एस.पी.वर्मा उपस्थित रहे

सूरत : एसजीसीसीआई द्वारा आयोजित तीन दिवसीय विवनेट प्रदर्शनी का उद्घाटन

सूरत। दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा सरसाणा में तीन दिवसीय 'विवनेट प्रदर्शनी - 2024' और एसजीसीसीआई गारमेंट एंड सोर्सिंग एक्सपो - 2024 की शुरुआत हो गई। शुक्रवार भारत की पूर्व केंद्रीय कपड़ा और रेलवे राज्य मंत्री श्रीमती दर्शनाबेन जरदोश के हाथो प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर भारत के अतिरिक्त कपड़ा आयुक्त (सेवानिवृत्त) एस.पी. वर्मा मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित रहे।

उद्घाटन समारोह में चैंबर के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने सभी का स्वागत किया। उन्होंने कहा, वर्तमान में, भारत से वस्त्रों के कुल निर्यात में एमएमएफ से बने वस्त्रों का निर्यात प्राकृतिक रेशों से बने वस्त्रों की तुलना में कम है। एक अनुमान के मुताबिक, सूरत पूरे भारत में एमएमएफ फैब्रिक के कुल उत्पादन में लगभग 65% का योगदान देता है, इसलिए सूरत के कपड़ा उद्योग को एमएमएफ फैब्रिक के निर्यात को बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए।
कपड़ा क्षेत्र में भारत की वर्तमान में दुनिया में पांच प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है। भविष्य में वर्ष 2047 तक विश्व स्तर पर संभावित कपड़ा क्षेत्र में भारत की बाजार हिस्सेदारी 20 प्रतिशत तक पहुंच जायेगी। अगले 20 वर्षों में, भारत के वस्त्रों की घरेलू खपत और उभरती वैश्विक मांग की आपूर्ति को देखते हुए सूरत की आर्थिक वृद्धि आसमान छू जाएगी, इसलिए भविष्य की कल्पना आज से करनी होगी और सूरत, जो भारत का सबसे बड़ा एमएमएफ कपड़ा क्लस्टर है, दुनिया का सबसे बड़ा टेक्सटाइल क्लस्टर होगा। हमें सबसे बड़ा टेक्सटाइल क्लस्टर बनाने की दिशा में प्रयास करना है।

श्रीमती दर्शनाबेन जरदोश ने उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सूरत के व्यापार और उद्योग के विकास के लिए चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रेजेंटेशन में मिलकर काम करेंगे। उद्यमियों को अब कपड़ा उद्योग की समस्याओं के समाधान और इसके भविष्य के बारे में सोचना होगा। एमएमएफ परिधान कपड़ा उद्योग का भविष्य है। आइए गुजरात की नई कपड़ा नीति और बिजली नीति दोनों के लिए मिलकर काम करें। उन्होंने कहा कि कपड़ा उद्यमियों को कठिन कपड़ा योजनाओं के अलावा एमएसएमई क्षेत्र की योजनाओं का भी लाभ उठाना चाहिए। जब सूरत की मूल जरी को जीआई टैग मिला है, तो इसने उद्योगपतियों से जरी उद्योग और सूरत ब्रांड को बढ़ावा देने का आग्रह किया है। उन्होंने उद्योगपतियों से भारत सरकार की विश्वकर्मा योजना का लाभ उठाने का भी अनुरोध किया।

 एस.पी. वर्मा ने कहा कि सूरत के उद्योगपतियों को अब दुनिया के कपड़ों की कसौटी को समझना होगा। कपड़ा निर्माताओं को यहां (सूरत में) परिधान लाने होंगे। जहां कपड़ा उद्योग सूरत में उत्पादित कपड़े में मूल्य संवर्धन करके 300 प्रतिशत की कमाई कर रहा है, वहीं सूरत के बुनकर भाइयों को कपड़ा के साथ-साथ गार्मेन्टिंग भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा, लोग अब इवेंट आधारित परिधान चाहते हैं। जब गुजरात में ओलंपिक खेल होने वाले हैं तो उद्यमियों को अभी से तैयारी करनी होगी। क्योंकि, ओलंपिक खेलों के लिए विभिन्न प्रकार के कपड़ों की आवश्यकता होती है। व्यवसायियों को अब देशवार परिधान परीक्षण की पहचान करनी होगी। जब सूरत ने डिजिटल प्रिंट में महारत हासिल कर ली है तो उसे सूरत के उत्पादों की मार्केटिंग करना भी सीखना होगा। उद्यमियों को नए उपभोक्ता वर्ग की मानसिकता के साथ खुद को ढालना होगा। इसके लिए छोटी-छोटी कमजोरी को दूर करना होगा।

चेंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष निखिल मद्रासी ने उद्घाटन समारोह में उपस्थित सभी को धन्यवाद दिया।सभी प्रदर्शनी चैंबर के अध्यक्ष बिजल जरीवाला ने प्रदर्शनी के बारे में जानकारी दी। चैंबर के ग्रुप चेयरमैन किरण थुम्मर ने उद्घाटन समारोह का संचालन किया। चैंबर के तत्कालीन पूर्व अध्यक्ष रमेश वघासिया, मानद मंत्री नीरव मांडलेवाला, मानद कोषाध्यक्ष मृणाल शुक्ल, दीप अग्रवाल, बंदना भट्टाचार्य, हिमांशु बोडावाला, आशिष गुजराती, अमरनाथ डोरा, पी.सी.शाह सहित कपड़ा उद्योग के सहासिक अग्रणी उप‌स्थित रहे। 

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