सूरत : जीवत्पुत्रिका पर्व पर का होता है 100 करोड़ का कपड़े का कारोबार

पूर्वी उत्तर प्रदेश का यह पर्व  अब सूरत सहित देश भर में मनाया जाने लगा है 

सूरत : जीवत्पुत्रिका पर्व पर का होता है 100 करोड़ का कपड़े का कारोबार

 हिंदू धर्म में त्यौहारों की अपनी मान्यता है और सभी का अलग-अलग महत्व भी होता है। प्रत्येक त्यौहार पर समाज के सभी वर्ग का लगाव होता है, जिससे रोजगार के अवसर भी प्राप्त होते हैं। यही नहीं बल्कि जीवत्पुत्रिका व्रत पर्व पर करोड़ों का टेक्सटाइल कारोबार होने का भी अनुमान व्यापारी जता रहे हैं। यह पर्व पूर्वी उत्तर प्रदेश विशेषकर पूर्वांचल में खासतौर से मनाया जाता है। पूर्वांचल वासियों के विविध शहरों एवं विदेशों में स्थायी होने से यह त्यौहार अब देश ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में भी उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। इसे जितिया और जिउतिया व्रत भी कहते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत संतान की लंबी उम्र और सेहत बनाए रखने के लिए रखा जाता है। हर साल महिलाएं आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया का निर्जला व्रत रखती हैं। इस साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 सितंबर, 2024 को पड़ रही है। 

इस पर्व पर विशेष रुप से होती है साड़ी की बिक्री : गोविंद गुप्ता

रघुकुल मार्केट के कपड़ा कारोबारी गोविंद गुप्ता ने लोकतेज से बताया कि पूर्वांचल के इस विशेष पर्व पर सूरत से तकरीबन 100 करोड़ का कपड़े का कारोबार होता है। पूर्वांचल का यह त्यौहार अब सूरत सहित देश के अनेक बड़े शहरों के अलावा विदेश में भी मनाया जाने लगा है। यही कारण है कि बड़े पैमाने पर कपड़ों का कारोबार भी होता है। इस पर्व को लेकर व्यापारी पहले से ही अपनी खरीदारी शुरु कर देते हैं। श्रावण मास में रक्षाबंधन के बाद, तीज व्रत, गणेश उत्सव के बाद जीवत्पुत्रिका व्रत, नवरात्रि एवं दीपावली आदि त्योहारों का सीजन लगातार होने से व्यापारी पूर्व में ही तैयारी कर लेते हैं। इस पर्व में विशेष रुप से साड़ी  की बिक्री होती है।

अधिकांश परिवारों में मनाया जाता यह पर्व : राम सिंह

वाराणसी के कपड़ा कारोबारी श्री राम वस्त्रालय के राम सिंह ने लोकतेज से बताया कि पूर्वांचल में विशेष रूप से यह पर्व मनाया जाता है। प्रत्येक गांव में अधिकांश परिवारों में यह पर्व मनाये जाने से तकरीबन 50 लाख का कारोबार होता है। उन्होंने बताया कि यह आंकड़ा सिर्फ हमारे फर्म से जुड़े खुदरा व्यापारियों की है। इस तरह देखा जाए तो वाराणी, चंदौली, भदोही एवं मिर्जापुर में ही तकरीबन 15 से 20 करोड़ का कारोबार होने का अनुमान है। इस पर्व में कपड़े के रूप में सिंथेटिक साड़ी एवं गमछा की मांग विशेष रूप से होती हो जो जीउतिया माता को चढ़ाई जाती है। 

संतानों की लंबी उम्र की कामना लिए निर्जला रहती हैं व्रती : निशा तिवारी

मां जीउतिया की पूजा करने वाली निशा मिथलेश तिवारी ने लोकतेज से बताया कि जिउतिया पर मां अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना लिए 24 घंटे से भी ज्यादा निर्जला रहती हैं। जीवत्पुत्रिका व्रत 25 तारीख को होने से 24 सितंबर को रात्रि में भोजन लेने के बाद 25 सितंबर को निर्जला उपवास रहेंगी और 26 सितंबर को सुबह मां का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात पारणा करेंगी। इस पर्व में जीउतिया मां को साड़ी, फल- फ्रूट एवं अनेक प्रकार के घर पर बनाये हुए व्यंजन चढ़ाई जाती है। इसके साथ परिवार में लड़का जन्म लेने और लड़के की शादी होने पर क्षमता के अनुसार जीउतिया मां की सोने-चांदी की मूर्ति बनवाई जाती है। जीवित्पुत्रिका व्रत के पूजा दौरान माताएं व्रत कथा पढ़ती और सुनती हैं। ऐसी मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनने से कभी भी संतान का वियोग नहीं सहना पड़ता हैं।

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