सूरत : एसजीसीसीआई ने पारिवारिक व्यवसायों को मजबूत बनाने उद्यमियों को किया जागरूक
केवल 30 प्रतिशत पारिवारिक व्यवसाय दूसरी पीढ़ी तक और 12 प्रतिशत तीसरी पीढ़ी तक जीवित रहते हैं: चैंबर अध्यक्ष विजय मेवावाला
सूरत : दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल ही में आयोजित एक सेमिनार में पारिवारिक व्यवसायों के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके सफल संचालन के लिए आवश्यक रणनीतियों पर प्रकाश डाला।
चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष विजय मेवावाला ने कहा कि सूरत के पारिवारिक व्यवसाय शहर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। उन्होंने उद्यमियों को प्रोत्साहित किया कि वे पारिवारिक मूल्यों को बनाए रखते हुए अपने व्यवसायों को आधुनिक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करें।
सेमिनार में, सौराष्ट्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. हितेश शुक्ला ने बताया कि भारत में पारिवारिक व्यवसाय जीडीपी और रोजगार में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। हालांकि, केवल 30% पारिवारिक व्यवसाय दूसरी पीढ़ी तक और महज 12% तीसरी पीढ़ी तक जीवित रह पाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पारिवारिक व्यवसायों को सफल बनाने के लिए स्पष्ट नीतिगत ढांचे और सभी सदस्यों का समान योगदान जरूरी है।
डॉ. शुक्ला ने यह भी कहा कि पारिवारिक व्यवसायों में महिलाओं, विशेषकर बहुओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें व्यवसाय के संचालन में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा, "पारिवारिक व्यवसायों में रिश्तों का व्यवसाय पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, परिवार के सभी सदस्यों के बीच तालमेल बनाए रखना बेहद जरूरी है।"
चैंबर ऑफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष निखिल मद्रासी, ईडीआईआई सदस्य आनंद वाघेला, समूह के अध्यक्ष और पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े व्यवसायी उपस्थित थे। चेम्बर के मंत्री नीरव मांडलेवाला ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। कोषाध्यक्ष मृणाल शुक्ल ने उपस्थित सभी को धन्यवाद दिया।