सूरत : व्यापारिक संगठनों पर की गई टिप्पणी कपड़ा मार्केट में बनी चर्चा का विषय 

कपड़ा व्यापारियों के साथ धोखाधड़ी एवं बाहर की मंडियों में सूरत के कारोबारियों का पैसा भी डूबता है

सूरत : व्यापारिक संगठनों पर की गई टिप्पणी कपड़ा मार्केट में बनी चर्चा का विषय 

औद्योगिक नगरी सूरत में रिंगरोड के आसपास एवं सरोली क्षेत्र में तकरीबन 270 टेक्सटाइल मार्केटों में लगभग 70 हजार से अधिक व्यापारी अपने प्रतिष्ठान को आगे बढ़ाने में जुटे हुए हैं। उनके इस प्रयास से जहां सिल्क सिटी सूरत का नाम रोशन हो रहा है, वहीं सरकार को भी बड़े पैमाने पर रेवन्यू प्राप्त होता है। इसके साथ ही साथ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हैं। इन सबके बीच कपड़ा व्यापारियों के साथ धोखाधड़ी एवं बाहर की मंडियों में सूरत के कारोबारियों का पैसा भी डूबता है। जबकि कुछ व्यापारियों द्वारा लेट से भुगतान भी किया जाता है। व्यापारियों की इस समस्या की समाधान के लिए कुछ व्यापारिक संगठन कार्यरत हैं। जो अपने स्तर से दोनों पार्टियों के बीच समाधान करवाकर बकाया निकलवाने का प्रयास करती हैं। व्यापारिक संगठनों के इस तरह के कार्यवाही पर प्रबुद्ध व्यापारी द्वारा टिप्पणी करने पर कपड़ा मार्केट में चर्चा का विषय बना है।  

रविवार को एक व्यापारिक कार्यक्रम में एसजीटीटी के पूर्व प्रमुख एवं प्रबुद्ध व्यापारी सांवर प्रसाद बुधिया ने व्यापारिक संगठनों को व्यापारियों के बीच मध्यस्थता कर पैसे दिलवाने से बचने की सलाह दी, जो सोमवार को समग्र में कपड़ा मार्केट में चर्चा का विषय बना रहा। उन्होंने कहा था कि व्यापारिक संगठनों को पैसे निकलवाने के मुद्दे को पुलिस और कानूनी प्रक्रिया में सौंप देना चाहिए और व्यापार एवं व्यापारी हित में अनेक मुद्दे हैं उस पर ध्यान देना चाहिए। 

एक संस्था से जुड़े अग्रणी ने बताया कि कोर्ट भी अदालतों में मेडिएशन सेंटर शुरू किया है, ताकि बातचीत से मामले को निपटाया जा सके। केसों का दबाव कम करने के लिए जब अदालत में मेडिएशन सेंटर शुरू हो सकती है तो व्यापारिक संगठनों ने अपने स्तर से व्यापारियों का समाधान करवा कर पैसे निकलवा रहे हैं तो कौन सी गलत बात है। दोनों पार्टियों के बीच मध्यस्थता कर समाधान करने की परंपरा बहुत पुरानी है। यही कारण है कि पूर्व के समय में अदालतों में मामले कम होते थे। कानूनी प्रक्रिया में विलंब होने तथा अदालतों के चक्कर काटने से बचने के लिए व्यापारी वर्ग संगठनों के पास आते हैं और अपना समाधान चाहते हैं। वस्तुतः कुछ मामलों में समाधान हो भी जाता है और जिन मामलों में समाधान नहीं होता उसे कानूनी प्रक्रिया में भेज दिया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि सबसे पुरानी संस्था आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन सूरत जो आर्बिट्रेशन एक्ट के तहत है। यदि व्यापारी वर्ग अपने बिल बुक पर सब्जेक्ट टू आर्बिट्रेशन एक्ट आफ आढ़तिया कपड़ा एसोसिएशन सूरत लिखते हैं तो इसके समाधान की जवाबदारी संगठन की होती है। जब संगठन के माध्यम से समाधान नहीं हो पाता तो उस मामले को अदालत में भेजा जाता है। 

इस संदर्भ में एडवोकेट विमल राठौड़ ने बताया कि अदालत में हाल के दिनों में तीन से चार अलग-अलग मेडिएशन सेंटर कार्यरत हैं। जिसमें महिलाओं के मामले में महिला जज, महिला पुलिस, महिला वकील एवं पीड़िता के साथ संवाद कर मामले को सुना जाता है। विशेष परिस्थिति में आरोपी के खिलाफ एक्शन भी शुरू किया जाता है। इस मेडिटेशन सेंटर का मुख्य उद्देश्य अदालतों में केसों का दबाव कम करना है। उन्होंने आर्बिट्रेशन एक्ट की प्रक्रिया के बारे में पूछे जाने पर बताया कि कोई भी पंजीकृत संस्था आर्बिट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकता है। उसके लिए पहले अपनी संस्था में आर्विटेटर नियुक्त करना होता है। इसके बाद वह आर्बिट्रेटर अपने स्तर से मामलों का समाधान करने का प्रयास करेगा। जब समाधान नहीं होगा तो उसे कानूनी प्रक्रिया के लिए भेज दिया जाएगा। आर्बिट्रेटर नियुक्ति के बाद संस्था को कार्रवाई प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसे आर्बिट्रेशन एक्ट का सर्टिफिकेट प्राप्त हो जाता है। 

प्रबुद्ध व्यक्ति के सुझाव को गंभीरता से लेना चाहिए 

किसी भी मामले पर प्रबुद्ध व्यक्ति की टिप्पणी अथवा सलाह को गंभीरता से लेना चाहिए और उस पर विचार करना चाहिए। एक व्यापारी ने बताया कि प्रतिष्ठित व्यापारी ने व्यापारिक संगठनों को समाधान कर बकाये निकलवाने से दूर रहने की जो सलाह दी है उस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि व्हाट्सएप ग्रुप में अमुक व्यापारियों का फोटो वायरल किया जाता है तथा अनाप-शनाप की बातें लिखी जाती है। इसे कभी उचित नहीं कहा जा सकता। किसी के भी इज्जत से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। व्यापारिक समाधान का प्रयास करना चाहिए उसका दुरुपयोग न हो इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कुछ दुरुपयोग होने की शिकायत पर ही व्यापारी अग्रणी है यह सुझाव दिया है उसे अन्यथा नहीं लेना चाहिए। बल्कि अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। यदि उनकी सलाह को अन्यथा लिया गया तो कोई भी व्यक्ति सही बात कहने से गुरेज करेगा।

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