सूरत : ‘जीएसटी की धारा 73 और 74’ पर चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा वेबिनार आयोजित

उद्यमियों को जीएसटी कानून की महत्वपूर्ण धाराओं से अवगत कराया गया

सूरत : ‘जीएसटी की धारा 73 और 74’ पर चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा वेबिनार आयोजित

दक्षिण गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने शनिवार को संहति, सरसाना, सूरत में ‘जीएसटी की धारा 73 और 74’ पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस वेबिनार में एडवोकेट एवं इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल डॉ. अविनाश पोद्दार ने उद्यमियों को जीएसटी की धारा 73 और 74 के बारे में विस्तृत जानकारी दी।

चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष निखिलभाई मद्रासी ने कहा कि, “वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम की धारा 73 और 74 दो महत्वपूर्ण धाराएं हैं। धारा 73 उन मामलों में लागू होती है जहां करदाता कर का भुगतान करने में विफल रहा है, कम भुगतान किया है या अधिक इनपुट क्रेडिट का लाभ उठाया है। ऐसे मामलों में जीएसटी विभाग धारा 73 के तहत कार्रवाई करता है।”

उन्होंने आगे कहा, “धारा 74 कर चोरी, धोखाधड़ी या कर से बचने के इरादे से जानबूझकर गलत तथ्यों को प्रस्तुत करने से संबंधित है। जीएसटी अधिनियम की धारा 73 और 74 कर प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये धाराएं सुनिश्चित करती हैं कि प्रत्येक करदाता राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में निष्पक्ष और ईमानदारी से योगदान दे।”

डॉ. अविनाश पोद्दार ने बताया कि, “पहले, धारा 73 के तहत समय सीमा के अंदर कारण बताओ नोटिस देना अनिवार्य था। नोटिस मिलने के बाद दो से पांच साल के अंदर भी फैसला सुनाया जाता था। यदि निर्णय प्रतिकूल होता था तो अधिक जुर्माना देना पड़ता था। सेवा कर में कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए एक समय सीमा थी, लेकिन जीएसटी में कारण बताओ निर्णय के लिए एक समय सीमा है। धारा 73 में यह समय सीमा वार्षिक रिटर्न दाखिल करने के बाद तीन साल तक है, जबकि धारा 74 में यह पांच साल तक है।”

उन्होंने आगे कहा, “धारा 73 के तहत, वार्षिक रिटर्न दाखिल करने के तीन साल पूरे होने से पहले तीन महीने के अंदर कारण बताओ नोटिस जारी करना होता है। वहीं, धारा 74 के तहत यह अवधि पांच साल पूरे होने से पहले छह महीने है। कारण बताओ नोटिस जारी करने के साथ ही डीआरसी-01 को इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपलोड करना होगा। कारण बताओ नोटिस मिलने के बाद करदाता चिंतित हो जाता है। इसलिए, नोटिस मिलने पर सीए द्वारा इसका अध्ययन कर उचित तकनीकी आपत्ति उठाई जानी चाहिए।”

Tags: Surat SGCCI