सूरत : हीरों की नगरी में युगप्रधान आचार्य महाश्रमण का हुआ भव्य नागरिक अभिनंदन

राग द्वेष पर विजय प्राप्त करने से मिलता है शाश्वत सुख - आचार्य श्री महाश्रमण , दो प्रकार के जीव होते है - सिद्ध और संसारी - आचार्य महाश्रमण

सूरत : हीरों की नगरी में युगप्रधान आचार्य महाश्रमण का हुआ भव्य नागरिक अभिनंदन

सूरत 16 जुलाई। भारत के पश्चिमी प्रवेश द्वार, हीरों की नगरी के रूप में विख्यात सूरत में तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण का नागरिक  अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ।  जिसमें शहर के मेयर दक्षेश मावाणी,डेप्युटी मेयर नरेंद्र पाटील, सांसद मुकेश दलाल सहित अनेकानेक धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक  संगठनों के प्रमुख व्यक्तियों सहित हजारों की संख्या में  जनता संभागी बनी। 

युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी ने संयम विहार सूरत के महावीर समवसरण में उपस्थितों को पावन पाथेय  प्रदान करते हुए फरमाया कि दुनिया में दो प्रकार के जीव होते हैं - सिद्ध जीव यानी परमात्म स्वरुप जीव और दूसरे सांसारिक जीव । जो सिद्ध जीव है वे जन्म मरण के चक्कर से मुक्त होते है, अशरीरी, अमन और अवाक् होते हैं । उन्हें किसी भी तरह शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक दुःख नही होते । वे पूर्णतया दुःख मुक्त होते हैं । उन्हें आत्मा के भीतर का सहजानन्द प्राप्त होता है । जिस तरह कुंड का पानी बाह्य और कुंए का पानी भीतरी होता है वैसे ही  सुख भी दो प्रकार के होते है- बाह्य स्थिति जन्य सुख और भीतरी सुख होते है । सिद्धों के पास भीतरी सुख है जो शाश्वत सुख है, कोई भी उसे चुरा नही सकता । जब सर्वज्ञान प्रकाशमान हो जाता है तो आत्मा सिद्धत्व को प्राप्त हो जाती है । सर्व ज्ञान प्रकाशन के लिए राग द्वेष से मुक्त होना पड़ेगा, वीतराग बनना पड़ेगा । वीतरागता हेतु अज्ञान मोह का विवर्जन होने पर, राग द्वेष से मुक्त होने पर आत्मा मोक्ष को प्राप्त करती है ।

दूसरे प्रकार के जीव के प्रकार की विवेचना करते हुए गुरुदेव ने आगे कहा कि सांसारिक जीवों को अगर धर्म का ज्ञान दिया जाए तो वे वीतरागता की ओर बढ़ सकते हैं । 

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जैन परम्परा में चातुर्मास का बड़ा महत्व है । चातुर्मास काल में एक जगह चार मास रहकर साधना की जाती है ।  प्रतिदिन प्रवचन श्रवण के समय व्यक्ति सामायिक में  लगभग दो घण्टे तक सावद्य कार्यों से मुक्त रह सकता है, ज्ञान की पुष्टि एवं वृद्धि हो सकती है और चौथा लाभ  जिज्ञासाओं का समाधान भी मिल सकता है । सुनते सुनते श्रोता भी एक अच्छा वक्ता बन सकता है । 

पूज्य प्रवर ने सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति की विवेचना करते हुए इन्हें अपनाने की  प्रेरणा दी । सूरत के सम्पूर्ण समाज में सद्भावना, नैतिकता, नशामुक्ति प्रवर्धमान रहें। इस "संयम विहार" में संयम की चेतना का विकास होता रहे, संयम प्रवर्धमान होता रहे।

साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि व्यक्ति को महान पुरुषों का सान्निध्य मिले तो जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। सूरतवासियों को महान पुरुषों के समागम का यह दुर्लभ अवसर मिला है। 

प्रवचन के उपरांत मंगलाचरण  "लो संघसुमेरु सूरत का अभिनंदन " गीतिका के संगान के साथ  नागरिक अभिनंदन समारोह का शुभारंभ हुआ। भरत शाह ने अभिनंदन समिति की ओर से स्वागत वक्तव्य किया। पूज्यप्रवर को सूरत शहर की प्रतीकात्मक चाबी मेयर श्री दक्षेश मावाणी, डेप्युटी मेयर, सांसद मुकेश दलाल, पद्म श्री मथुरभाई सवानी एवं नागरिक अभिनंदन समारोह समिति के सदस्यों ने समर्पित की। 

मुनि श्री उदितकुमार जी ने प्रासंगिक वक्तव्य में कहा- अभिनंदन उसका होता है जिसमें संतता है, महानता है, गतिशीलता है और सबको प्रेरणा प्रदान करता है। 

अपने वक्तव्य में मेयर दक्षेश मावाणी ने कहा कि  राष्ट्रसंत आचार्य महाश्रमण के चातुर्मास को पाकर सूरत की धरा पावन हो गयी है। सूरत चातुर्मास से जनता को बहुत लाभ होगा। सांसद मुकेश दलाल ने कहा कि  आचार्य प्रवर के चरण कमलों के स्पर्श का सौभाग्य सूरत शहर को मिला है। आचार्य श्री का अभिनंदन कर सूरत शहर धन्य हो गया। डॉ जीतुभाई शाह, जय छेड़ा, सूरत शहर  BJP महामंत्री किशोर बिंदल, आरएसएस सूरत से सुरेश मास्टर आदि ने पूज्यप्रवर के प्रति अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति दी। भगवान महावीर यूनिवर्सिटी के संस्थापक संजय जैन व अनिल जैन ने यूनिवर्सिटी की ओर से पूज्य आचार्य प्रवर का अभिनंदन किया।

नागरिक अभिनंदन  पत्र का वाचन अंकेशभाई शाह ने एवं आभार ज्ञापन संजय सुराणा ने किया। नागरिक अभिनंदन समारोह कार्यक्रम का संचालन नानालाल राठौड़ एवं विश्वेश संघवी ने किया। इस अवसर पर  आचार्य श्री महाश्रमण के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित डॉक्यूमेंट्री का मंचन भी किया गया। मीडिया टीम के महावीर सेमलानी, विश्वेश संघवी व संजय वैदमेहता द्वारा इस डॉक्यूमेंट्री का निर्माण किया गया है।