सूरत में आध्यात्मिक चेतना के विकास की है प्रचुर संभावना : आचार्य महाश्रमण

महातपस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी का संयम विहार, भगवान महावीर यूनिवर्सिटी, वेसु में हुआ मंगल चातुर्मास प्रवेश 

सूरत में आध्यात्मिक चेतना के विकास की है प्रचुर संभावना : आचार्य महाश्रमण

सत्य, प्रेम और अहिंसा के प्रखर पुरस्कर्ता  युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी का सोमवार प्रातःभगवान महावीर विश्वविद्यालय परिसर के संयम विहार में शानदार चातुर्मास प्रवेश हुआ। पूज्य श्री ने प्रातः श्रमण श्रमणियों की धवल सेना के साथ सिटी लाइट तेरापंथ भवन से विहार प्रारम्भ किया। विहार यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। 

जय जय ज्योति चरण, जय जय महाश्रमण और जैन धर्म के गगन गामी नारे और मधुर भक्ति गीतों के साथ जैसे ही रैली सूरत के सिटीलाइट के राजमार्ग पर निकली तो हजारों की निगाहें यात्रा पर टिक गईं। 

यात्रा में बहनों ने विभिन्न नारे वाले बैनर के साथ जैन शासन की पताका लेकर लोगों को जैन धर्म के सिद्धांतों का संदेश दिया। पूरे अनुशासन के साथ एक विशाल रैली संयम विहार पहुंची. रास्ते में हजारों-हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन वंदन कर सौभाग्य का अनुभव किया। 
आचार्यश्री के चातुर्मास प्रवेश को देखने और उनकी अमृतवाणी सुनने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु मौजूद थे। गृह मंत्री हर्ष संघवी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे और पूज्यश्री की प्रवचन प्रसादी ग्रहण कर आशीर्वाद लिया।

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भगवान महावीर विश्वविद्यालय परिसर के पास बने संयम विहार में महावीर समवसरण में चातुर्मास प्रवेश के प्रथम दिन मंगल प्रवचन फरमाते हुए पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी ने जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम के दशवैकालिक सूत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि--यदि संसार में कोई मंगल है तो वह धर्म है।

अरिहंत मंगल है, सिद्ध मंगल है, साधु मंगल है लेकिन धर्म उत्कृष्ट मंगल है। धर्म कारण मंगल है। शेष तीनों कार्य मंगल हैं। मूल तत्व धर्म है। शास्त्रों में धर्म का ऐसा कोई विशेष नाम निर्दिष्ट नहीं है  बल्कि उसे सच्चा धर्म कहा गया है जिसमें अहिंसा, संयम और तप है। अहिंसा, तप और संयम के अतिरिक्त कोई धर्म नहीं बचता। जो सदैव इस प्रकार के धर्म का आचरण करता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।

सूरत में चातुर्मास के संबंध में पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने कहा आज हमने सूरत में भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में चातुर्मास प्रवेश किया है। 
हमने आज तक कई चातुर्मास किए हैं लेकिन भगवान महावीर के नाम से बने किसी विश्वविद्यालय में यह संभवत: पहला चातुर्मास है। विद्याभूमि का अपने आप में एक अलग स्थान, एक अलग महत्व है।  

यहां के विश्वविद्यालय का नाम भगवान महावीर से जुड़ा है। यहां के प्रवचन पंडाल का नाम भी महावीर समवसरण है और हमारे साथ जो मुख्य मुनि हैं उनका नाम भी महावीर मुनि है। यहां कई साधु साध्वियां पहुंच चुके हैं। यहां आशा है कि जैन और अजैन सभी को योग मिलेगा और सभी अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्यान सुनने का प्रयास करेंगे।

साध्वीप्रमुखा श्री विश्रुत विभाजी ने कहा-- पूज्यश्री का सूरत का चातुर्मास अद्वितीय चातुर्मास होगा। चूंकि यह मुंबई और अहमदाबाद के बीच एक मध्यवर्ती क्षेत्र है, इसलिए इन दोनों क्षेत्रों को सूरत से लाभ होगा। सूरत हीरों का शहर है।हीरा भौतिक संपदा का प्रतीक है। आचार्यश्री यहां सम्यक्त्व का हीरा लेकर आये हैं। सम्यक्त्व एक अनमोल हीरा है जो मोक्ष का साधन हो सकता है। 

सूरत एक स्वच्छ शहर है, बाहरी सफाई तो हमें दिखती है, लेकिन आचार्य श्री आंतरिक स्वच्छता के सूत्र लेकर आए  हैं। यह हरा-भरा शहर है, बाहर से हरा-भरा दिखता है लेकिन आचार्य श्री महाश्रमणजी की शिक्षाओं और मार्गदर्शन से उम्मीद है कि सूरत अंदर से भी हरा-भरा हो जाएगा।

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गुजरात राज्य के गृह मंत्री श्री हर्ष संघवी ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि आचार्य श्री का सूरत का चातुर्मास आध्यात्मिक दृष्टि से ऐतिहासिक होगा।
आचार्य महाश्रमण चातुर्मास प्रवास समिति के अध्यक्ष संजय सुराणा, स्वागताध्यक्ष भगवान महावीर विश्वविद्यालय के श्री संजय जैन आदि ने आचार्य श्री का स्वागत एवं अभिनंदन करते हुए अपनी भावनाएँ व्यक्त कीं। 

सूरत पुलिस कमिश्नर श्री अनुपमसिंह गेहलोत एवं डीसीपी विजयसिंह गुर्जर ने भी पूज्य आचार्य प्रवर के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। तेरापंथ महिला मंडल सूरत एवं ज्ञानशाला द्वारा सुन्दर सामूहिक गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेशकुमार जी ने किया।