आखिर स्पिनर लॉबी की मांग से स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग लागू होने की पूरी संभावना
By Loktej
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सरकारी अधिसूचना जारी होने मात्र की देर, बिना किसी ग्राहकी के बावजूद भी यार्न की कीमतों में हुआ 6 से 7 रुपयों का फायदा
नई दिल्ली 20 अगस्त । चाईना, ताइवान व वियतनाम आदि देशों से आयातित स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लागू करने व न लागू करने की जददोजहद में जहां स्पिनर्स लॉबी एंटी डम्पिंग ड्यूटी लागू कराने पर एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं विवर एंटी डम्पिंग ड्यूटी न लागू करने की वकालत कर रही है। त्रिवेणी ग्रुप के श्री अभिनव गर्ग ने बताया कि स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लागू करने संबंधी सारी औपचारिकताएं पूर्ण हो गई है और यहां तक सरकारी गजट (राजपत्र) में भी संकेत दे दिए गए है। बस अब वित्त मंत्रालय की मुहर लगनी व सरकारी नोटिफिकेशन जारी होने की देर मात्र है।
सूत्रों का कहना है कि स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लागू करने का जहां मुंबई में व दादरा नगर हवेली के सिलवासा तथा केंद्र शासित दमण तथा पाताल गंगा, दक्षिण गुजरात आदि ओद्योगिक शहरों में संचालित स्पिनिंग इकाइयों के स्पिनर लॉबी का टेक्सटाइल्स मंत्री श्री पीयूष गोयल पर दबाव बना हुआ था। वहीं सिल्क सिटी सूरत से सांसद श्रीमती दर्शना बेन ज़रदोश पर वीविंग लॉबी तथा फेडरेशन ऑफ आर्ट सिल्क इंडस्ट्रीज फ़ियासवी आदि संगठन स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी न लागू कराने की मांग का दवाब था। दोनों ओद्योगिक शहरों में दोनों केंद्रीय मंत्री व राज्य मंत्री के पास अलग अलग तरह की मांग का प्रेशर बना हुआ है। बहरहाल स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लागू होने की अधिकृत सूचना मात्र जारी होने की देर मात्र है।
अगर स्पन यार्न पर एंटी डम्पिंग ड्यूटी लागू हो जाती है तो स्पिनर स्पन यार्न भावो में मनमानी कर सकते है। हालांकि स्पिनरों ने यार्न की अनेक क्वालिटियो में बिना किसी ग्राहकी के बावजूद 6 से 10 रु किलो तक भाव बढ़ा डाले है, बताया जाता है कि 50×24 व 50×48 जैसी यार्न किस्में 114-115 से बढ़ कर 123-124 व 50 ब्राइट में 6 से 7 रु किलो की तेजी आई है। ये भाववृद्धि चाईना में डेल्टा वेरियंट के पनपने तथा वहां पहुंचने वालों को होम कोरनटाइन करने के फैसले की बदौलत हो पाई है। कारण होम कोरनटाइन होने की प्रक्रिया से चीन से आने वाले यार्न की शिपमेंट की प्रक्रिया में बाधा पहुंचनी संभव है।
इससे भारत मे सिंथेटिक यार्न पहुंचने में विलम्ब हो सकता है। अतः स्पिनरों ने इस आशंका का फायदा उठा डाला व भाव वृद्धि कर डाली। वो भी कपड़े की सर्वथा कमजोर मांग के चलते हुए भी। उल्लेखनिय है कि गत वर्ष इसी अगस्त माह में यार्न के भाव 80 से 100 प्रतिशत तक बढ़ गए थे, कारण कपड़े में मांग गजब की खुल गई थी व कोरोना की वजह से चीन का आयात कमजोर था। आखिर भारतीय स्पिनरों की एक तरफा तेजी लाने के प्रयासों को चीन से 2 हजार से ज्यादा कंटेनर यार्न मंगा कर ही रोका गया।
ये उल्लेखनिय है कि वर्ष 2015 में इंडोनेशिया, चीन, वियतनाम और नेपाल से कुल 5833 टन पालिएस्टर स्पन यार्न का आयात किया गया था। तथा वर्ष 2016 में यह आयात छलांग लगा कर 13, 381 टन तक पहुंच गया था। इसी तरह 2017 में छलांग लगा कर 19,961 टन हो गया। वर्ष 2018 में यह 22,327 टन तक पहुंच गया था। जबकि वर्ष 2019 में लंबी छलांग लगा कर 43,306 टन के पार हो गया। वर्ष 2020 में वैश्विक कोविड महामारी के दौरान लगे विश्वव्यापी लाकडाउन के कारण चार माह में ही आयात 20886 टन हो गया था। वहीं 2015 में वियतनाम से मात्र 74 टन स्पन यार्न का आयात किया गया था। वर्ष 2019 में बढ़कर 6001 टन पर पहुंच गया। वर्ष 2020 के चार माह में ही 2621 टन का आयात किया गया। स्पिनरों को चिंता बनी हुई है कि आयात में इसी रफ्तार से हो रही वृद्धि खतरनाक है। अब इस पर अंकुश जरूरी है। सम्भवत सरकार ने स्पिनरों की बात को मान लिया है।
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