सूरत : अपहरण, फिरौती और हत्या मामले में कुख्यात आरोपी मोनू यादव समेत दो किशोरों को हिरासत में लिया
बिहार से तीन आरोपी गिरफ्तार अभी भी दो आरोपी फरार
सूरत जिले के कडोदरा में मासूम बच्चे के अपहरण और हत्या के मामले में ग्रामीण पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। घटना के कुख्यात आरोपी और मास्टरमाइंड मोनू यादव उर्फ गौतम को गिरफ्तार कर लिया गया है और दो किशोरों को हिरासत में लिया गया है।
एक सप्ताह पहले सूरत जिले के कडोदरा में 12 वर्षीय अमरेंद्र उर्फ शिवम की अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। बच्चे का अपहरण कर पंद्रह लाख की फिरौती मांगी गई थी और बच्चे की हत्या कर दी गई। पुलिस ने सबसे पहले उमंग विजय गोहिल नाम के आरोपी को कुछ ही घंटों में गिरफ्तार कर लिया। बहरहाल, पूरे मामले ने पुलिस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल खड़ा कर दिया है और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। कई दिनों से सूरत जिले, शहर की विभिन्न पुलिस को काम पर लगाया गया था। जिसमें पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में सफल रही।
सूरत एलसीबी पूरे मामले की जांच कर रही है। हालाँकि, सूरत शहर, राज्य पुलिस और राज्य के बाहर की विभिन्न टीमों को भी तैनात किया गया है। जांच में बिहार पुलिस की भी मदद ली गई। कई दिनों की जांच के बाद मुख्य सरगना मोनू उर्फ गौतम यादव को बिहार राज्य के जिला छपरा के ग्राम गुडाकलानन से गिरफ्तार किया गया। साथ ही कानून का उल्लंघन करने वाले दो किशोरों को भी हिरासत में लिया गया है।
इस घटना में स्थानीय कड़ोदरा पुलिस की कुछ लापरवाहियां भी सामने आईं। बिना योजना बनाये अभियुक्त के घर पहुँचने से अभियुक्त भागने में सफल हो गया अपह्रत बालक अमरेन्द्र उर्फ शिवम की हत्या कर दी। इस मामले में अभी भी आदतन और कुख्यात सोनू यादव पुलिस की पकड़ से दूर है। वहीं, राज्य और राज्य के बाहर की चार टीमें जितेंद्र सुरेंद्र जैना को ढूंढने के लिए आसमान एक कर रही हैं।
पांच आरोपियों में से मोनु यादव और दो किशोर कड़ोदरा में 12 वर्षीय लड़के अमरेंद्र उर्फ शिवम का अपहरण और हत्या करने के बाद अपने मूल बिहार भाग गए। हालांकि, घटना के दिन आरोपी के माता-पिता को पुलिस पकड़ कर ले आई थी। लेकिन बाद में पुलिस को इस बात की प्रबल आशंका थी कि किशोर अपने माता-पिता से संपर्क करेंगे। इसलिए उनके मोबाइल फोन पुलिस ने चालू रखे हुए थे। इस बीच, बिहार के छपरा जिले में अपने गृहनगर पहुंचे किशोरों ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए। लेकिन वहां से कुछ राहगीर अपने मोबाइल फोन में बैलेंस खोने का बहाना बनाकर अपने माता-पिता से बात करते रहे। ऐसे में पुलिस को लगातार मोबाइल लोकेशन मिल रही थी, आखिरकार बिहार पुलिस की मदद से तीनों पुलिस के हत्थे चढ़ गए।