सूरत : ओलपाड के बरबोधन गांव में धान की फसल को बरबाद कर रहे कीटों की समस्या

सूरत : ओलपाड के बरबोधन गांव में धान की फसल को बरबाद कर रहे कीटों की समस्या

सूरत जिले के ओलपाड तहसिल के बरबोधन गांव मे कीटों की समस्या से धान की फसल बरबाद हो रही है जिससे किसान सरकार और कृषी युनिवर्सिटी के निष्णातों से आस लगा बैठी है।

दर्शन नायक ने कृषी युनिवर्सिटी के निष्णातों तथा सरकार से योग्य कार्यवाही की मांग की
ओलपाड तालुका के तटवर्ती क्षेत्र के अधिकांश गांवों में, मुख्य फसल धान है और बड़ी संख्या में किसान धान उगाते हैं और अपने परिवारों का समर्थन करते हैं।लेकिन ओलपाड तालुका के बारबोधन गांव में धान किसानों के सिर पर संकट मंडरा रहा है। ओलपाड तालुका के बारबोधन गाँव में किसानों के धान के खेतों में ग्रे और हरे तड़तड़िया (चूसा) नामक कीट, महामूला धान की खड़ी फसल को नष्ट कर रहे हैं  जिसे किसानों ने अपने अथक प्रयासों से उगाया है।
किसान नेता एवं सूरत जिला पंचायत के पूर्व नेता दर्शन नायक ने जानकारी देते हुए कहा कि नवसारी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित सूरत के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पिछले सप्ताह बारबोधन गांव का दौरा किया था। उस समय के दौरान उन्हें धान में भूरे और हरे रंग के तडतडयिा किटको की एक विस्तृत श्रृंखला मिली थी। कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार बारबोधन गांव के धान किसान इस भूरे और हरे रंग के तड़तडीया (चूसने वाले)  को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक छिडककर के रोग  थाम का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इन कीटों का प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है, फसल खराब होने की पूरी संभावना है। समय रहते इन तडतडीया किटों को नियंत्रित करना जरूरी है अन्यथा धान की फसल को बरबाद करे देंगे। एक ओर जहां उत्पादन लागत बढ़ रही है वहीं दूसरी ओर फसलों के दाम भी नहीं मिल रहे हैं और अब ऐसे भूरे और हरे धब्बेदार (चूसने वाले) कीट फैलने से किसानों की स्थिति खराब होती जा रही है।  गुजरात सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और कृषि रोगों के क्षेत्र में कृषि अधिकारियों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के द्वारा हरे रंग के तडतडीया (चूसने वाले) कीटों को नियंत्रित करने के लिए तुरंत प्रभावी उपाय करना चाहिए। किसानों को उचित सलाह और सहायता दी जानी चाहिए और उन किसानों को वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए जिनकी फसल भूरे और हरे तडतडीया (चूसने वाले) कीटों के रोग से क्षतिग्रस्त हो गई है ताकि किसान आर्थिक रुप से सध्धर हो सके।
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