राजकोट : सौराष्ट्र के गीर केसर आम का सीजन तलाला में नीलामी के साथ शुरू
पहले दिन 14,500 पेटियों की आवक, भाव रु.650 से रु.1500 तक; जलवायु परिवर्तन से उत्पादन में कमी की उम्मीद
सौराष्ट्र की शान गीर केसर आम का बहुप्रतीक्षित सीजन 26 अप्रैल से तलाला मार्केट यार्ड में परंपरागत नीलामी के साथ शुरू हो गया। पहले दिन 14,500 बाक्स (प्रत्येक 10 किलोग्राम) आम की आवक हुई और किसानों को प्रति बॉक्स रु650 से रु1500 तक का भाव मिला। यह पिछले वर्ष की तुलना में रु.150-रु.200 अधिक है, जिससे किसानों में उत्साह का माहौल देखा गया।
गौरतलब है कि आजादी से पहले वर्ष 1930 में जूनागढ़ के गिर क्षेत्र में इस केसर आम की खोज हुई थी। जानकारी के अनुसार, नवाब के हाथों में इस आम का केसरिया रंग देखकर इसका नाम 'केसर' रखा गया। वर्ष 2011 में इसे भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ, जिससे इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान और भी मजबूत हुई। आज गीर केसर आम देश-विदेश में अपनी मिठास और प्राकृतिक केसरिया रंग के लिए प्रसिद्ध है।
पिछले वर्ष की तुलना में इस बार पहले दिन आवक दोगुनी रही है। गत वर्ष जहां पहले दिन 5,750 पेटी आई थीं, वहीं इस वर्ष 14,500 पेटी दर्ज की गई। अच्छी गुणवत्ता वाले आमों की नीलामी में अधिकतम रु1350 प्रति बाक्स का दाम मिला। नीलामी में सौराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से व्यापारी बड़ी संख्या में पहुंचे और बोली में सक्रियता दिखाई।
तलाला मार्केट यार्ड के अध्यक्ष संजय शिंगाला ने बताया कि पिछले वर्ष कुल 5,96,700 पेटियों का कारोबार हुआ था। हालांकि इस वर्ष जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के चलते फसल में कमी आने की संभावना जताई जा रही है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे सीजन आगे बढ़ेगा, आवक बढ़ेगी और कीमतों में आंशिक गिरावट आ सकती है। इस साल औसत भाव रु.80 से रु.85 प्रति किलो रहने की संभावना है, जो पिछले साल के रु.70 प्रति किलो औसत भाव से अधिक है।
शिंगाला ने यह भी बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण फसल को हुए नुकसान के चलते कुछ किसानों ने आम काटने शुरू कर दिए हैं, जिसे रोकने के लिए सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई है।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि बाजार में पकाए गए आमों की तुलना में प्राकृतिक तरीके से पके हुए, रसायन मुक्त केसर आम का स्वाद और स्वास्थ्य लाभ कहीं अधिक होते हैं। जागरूक उपभोक्ता इन आमों को कागज या घास में लपेटकर स्वाभाविक रूप से पकाकर सेवन करना पसंद करते हैं। गीर केसर आम के इस सीजन की शुरुआत ने एक बार फिर सौराष्ट्र की कृषि समृद्धि और सांस्कृतिक पहचान को जीवंत कर दिया है।