बड़े शहरों में पुराने वाहनों की जगह ईवी अपनाने से तेल आयात बिल में भारी कटौती संभवः टेरी रिपोर्ट

बड़े शहरों में पुराने वाहनों की जगह ईवी अपनाने से तेल आयात बिल में भारी कटौती संभवः टेरी रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 25 अप्रैल (भाषा) भारत के कम से कम 10 लाख की आबादी वाले 44 शहरों में पुराने वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से वर्ष 2035 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 6.1 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर की कमी लाई जा सकती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।

‘द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट’ (टेरी) के इस अध्ययन में कहा गया है कि पुराने वाहनों की जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने से 2035 तक 51 अरब लीटर से अधिक पेट्रोल और डीजल की बचत की जा सकेगी। इससे भारत का तेल आयात बिल अनुमानित रूप से 9.17 लाख करोड़ रुपये (106.6 अरब अमेरिकी डॉलर) कम हो जाएगा।

अध्ययन रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि इन 44 बड़े शहरों में पुराने वाहनों की संख्या 2024 में 49 लाख थी लेकिन इसके बढ़कर 2030 तक 75 लाख हो जाने का अनुमान है।

टेरी के अनुसार, परिवहन क्षेत्र सर्दियों के मौसम में विभिन्न भारतीय शहरों के परिवेशी पीएम 10 और पीएम 2.5 सांद्रता में क्रमशः 24 प्रतिशत और 37 प्रतिशत तक का योगदान देता है। भारत के बड़े शहरों में वायु प्रदूषण में पुराने वाहनों की सबसे अधिक हिस्सेदारी है।

रिपोर्ट के लेखकों ने 2030 और 2035 के बीच 1.14 करोड़ वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की एक चरणबद्ध योजना प्रस्तावित की और इन सभी को इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) से बदलने या इलेक्ट्रिक एवं सीएनजी वाहनों के संयोजन को अपनाने की सिफारिश की।

उन्होंने कहा कि पूर्ण रूप से ईवी अपनाने से 2035 तक हर दिन 11.5 टन पीएम 2.5 उत्सर्जन से बचा जा सकता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 6.1 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर कमी आ सकती है।

अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, इससे इलेक्ट्रिक वाहन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 3.7 लाख नए रोजगार भी सृजित हो सकते हैं।

यदि पुराने वाहनों में से आधे को सीएनजी में परिवर्तित कर दिया जाए तो लगभग 2,655 नए सीएनजी स्टेशन की जरूरत होगी और अनुमानित रोजगार सृजन लगभग 45,000 होगा।