सूरत : रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजना में भूमि अधिग्रहण को लेकर तेजी, नगर निगम ने रखा अनिवार्य अधिग्रहण का प्रस्ताव

रेलवे, मेट्रो, बीआरटीएस और एसटी बसों को जोड़ने वाली एमएमटीएच परियोजना के लिए 1245 वर्ग मीटर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू

सूरत : रेलवे स्टेशन पुनर्विकास परियोजना में भूमि अधिग्रहण को लेकर तेजी, नगर निगम ने रखा अनिवार्य अधिग्रहण का प्रस्ताव

सूरत। शहर की बहुप्रतीक्षित परियोजनाओं में से एक सूरत रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास और मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्ट हब (MMTH) की दिशा में अब नगर निगम ने भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। परियोजना के तहत, रेलवे, मेट्रो, बीआरटीएस और एसटी बस सेवाओं को एकीकृत करने की योजना है, जिससे यात्रियों को एक ही स्थान से सभी प्रकार के जन परिवहन की सुविधा मिल सकेगी।

फिलहाल यह परियोजना प्रारंभिक चरण में है, और भूमि अधिग्रहण इसमें सबसे जटिल और चुनौतीपूर्ण मुद्दा बनकर सामने आया है।

वराछा जोन में एलिवेटेड रोड के निर्माण के लिए जिन स्थलों की आवश्यकता है, वहां लगभग 1245 वर्ग मीटर भूमि शामिल है, जिन पर कच्चे मकान और व्यावसायिक इकाइयां स्थित हैं। 

नगर निगम द्वारा भूमि मालिकों से संवाद के प्रयास किए गए, लेकिन उनकी ओर से भूमि स्वेच्छा से देने से इनकार कर दिया गया। परिणामस्वरूप, नगर निगम ने अब अनिवार्य अधिग्रहण का रास्ता अपनाते हुए डीपीएमसी अधिनियम, 1949 की धारा 78 तथा “भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013” के तहत अधिग्रहण का प्रस्ताव शासकों के समक्ष रखा है। 

इस पर निर्णय आगामी स्थायी समिति की बैठक में आवश्यक भूमि अधिग्रहण का निर्णय लिया जाएगा। प्रस्ताव में जिन भूखंडों का उल्लेख है, उनमें  वराछा क्षेत्र में प्रारंभिक टीपी योजना संख्या 8 (उमरवाड़ा) के फाईनल प्लॉट क्रमांक 25 (क्षेत्रफल 23.91 वर्ग मीटर) और फाईनव प्लॉट संख्या 29-1 से कुल 789.38 वर्ग मीटर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है।

इसके अतिरिक्त,  लम्बे हनुमान रोड की ओर अंतिम टीपी योजना संख्या के प्लॉट संख्या 4 (अश्वनी कुमार-नवागाम) 266/2 और 267 पर स्थित आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों का कुल क्षेत्रफल 170 वर्ग मीटर है। अंतिम टीपी योजना संख्या प्लॉट संख्या 4 (अश्वनी कुमार-नवागाम) 273/ में से 286 वर्ग मीटर भूमि भी अधिग्रहित की जानी है।

चूंकि यह भूमि बातचीत के माध्यम से अधिग्रहित नहीं की जा सकी है, इसलिए डीपीएमसी अधिनियम 1949 की धारा 78 और "भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम-2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार" के तहत अनिवार्य अधिग्रहण के लिए नियमों के अनुसार प्रस्ताव रखा गया है।

हालांकि, दशकों से वहां रह रहे नागरिकों में संपत्तियां छीने जाने का भय है, और इसलिए विरोध भी देखा जा रहा है। इसके बावजूद, प्रशासन इसे सार्वजनिक हित की महत्त्वपूर्ण परियोजना मानते हुए कानूनन आगे बढ़ा रहा है।

नगर निगम का लक्ष्य है कि यह परियोजना पूरी होने पर सूरतवासियों को एक आधुनिक और सुव्यवस्थित परिवहन केंद्र मिले, जो शहर की रफ्तार को और भी तेज कर सके।

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