ट्रंप के टैरिफ संकट के दौर में निवेश रणनीति: अनिश्चितता में कैसे नेविगेट करे और आगे बढ़ें

ट्रंप के टैरिफ संकट के दौर में निवेश रणनीति: अनिश्चितता में कैसे नेविगेट करे और आगे बढ़ें

नई दिल्ली, अप्रैल 16: वैश्विक वित्तीय बाजार एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 50 से अधिक देशों पर आक्रामक टैरिफ नीति लागू की है। "प्रतिशोधी टैरिफ" कहे जाने वाले इन उपायों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उथल-पुथल मचा दी है, जिससे इक्विटी बाजार में व्यापक अस्थिरता आई है।

हालांकि, एक नाटकीय मोड़ में, ट्रंप ने सभी देशों (चीन को छोड़कर) के लिए 90 दिनों की टैरिफ रोक की घोषणा की है। यह निर्णय अस्थायी राहत प्रदान कर सकता है और उम्मीद की जा रही है कि 90-दिनों के ठहराव के बाद बाजार 5-10% तक उछाल ले सकता है।

निवेशकों के लिए मुख्य प्रश्न यही है—इस अनिश्चित माहौल में कैसे जीवित रहें और कैसे बढ़ें?
टैरिफ का प्रभाव समझना
ट्रंप के टैरिफ विभिन्न स्तरों पर हैं, जो घाटे वाले देशों के लिए 10% से लेकर चीन पर 50% से अधिक तक हैं। भारत को 26% टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है, जिससे कनाडा, यूरोपीय संघ और चीन ने जवाबी कार्रवाई की है। यह एक विस्तारित व्यापार युद्ध का संकेत दे रहा है।
तात्कालिक प्रभाव:
•    S&P 500 और Nasdaq-100 में 20% की गिरावट, हालाँकि टैरिफ ठहराव की घोषणा के बाद 10% की रिकवरी हुई।
•    FAANG स्टॉक्स (Facebook, Apple, Amazon, Netflix, Google) में 25% तक की गिरावट, बाद में 10% की रिकवरी।
•    भारत का निफ्टी 50 अपने उच्चतम स्तर से 12% गिरा, लेकिन 5%+ की रिकवरी की संभावना है।
यह केवल पहली घटना है, और अगले कुछ तिमाहियों में ऐसे और कई दौर हो सकते हैं जो बाजार को अस्थिर बनाए रखेंगे।

इस गिरावट का मुख्य कारण आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता, मुद्रास्फीति का जोखिम और कॉर्पोरेट लाभप्रदता में अनिश्चितता है। कंपनियों को उच्च लागत को या तो वहन करना होगा या उपभोक्ताओं पर डालना होगा, जिससे बिक्री पर असर पड़ेगा।

टैरिफ-प्रभावित बाजार में विजेता और पराजित
बाजार अस्थिरता सभी कंपनियों को समान रूप से प्रभावित नहीं करती है। कुछ कंपनियां इस संकट से उबर सकती हैं, जबकि अन्य समाप्त हो सकती हैं।
1.    मजबूत वैश्विक कंपनियां: बड़े और अच्छी वित्तीय स्थिति वाली कंपनियां, जिनकी आपूर्ति श्रृंखला विविध है, अल्पकालिक नुकसान उठा सकती हैं लेकिन दीर्घकालिक रूप से मजबूत बनेंगी।
2.    कमजोर वैश्विक कंपनियां: उच्च ऋण और कम लाभ मार्जिन वाली कंपनियों के लिए यह समय कठिन हो सकता है। इनमें से कई 2-4 वर्षों में बाजार से बाहर हो सकती हैं।
3.    घरेलू विजेता: कुछ स्थानीय कंपनियों को अस्थायी लाभ हो सकता है, लेकिन यदि उनकी मूलभूत ताकत कमजोर है, तो टैरिफ हटने के बाद वे फिर संघर्ष कर सकती हैं।

बैंकों (विशेष रूप से PSU बैंकों) पर निवेशकों की नज़र बनी रहेगी। इसके अलावा, पावर और हाउसिंग फाइनेंस सेक्टर भी आकर्षण का केंद्र रहेंगे। वहीं, रक्षा और रेलवे क्षेत्र को भी बाज़ार में प्राथमिकता मिलती रहेगी।

रेलवे अवसंरचना: अनिश्चितता में एक सुरक्षित निवेश अवसर
इस वैश्विक उथल-पुथल के बीच, रेलवे अवसंरचना क्षेत्र एक सुरक्षित और उच्च विकास क्षमता वाला निवेश अवसर बना हुआ है। यह सेक्टर मजबूत सरकारी निवेश और दीर्घकालिक आर्थिक विकास से लाभान्वित हो रहा है।

मुख्य विकास कारक:
•    सरकारी बजट समर्थन: भारतीय रेलवे का पूंजीगत व्यय 16,000 करोड़ रूपये (FY11) से बढ़कर 2.5 लाख करोड़ रूपये (FY25) हो गया है। अगले पाँच वर्षों में  15-20 लाख करोड़ रूपये और निवेश होने की संभावना है।
•    बढ़ता हुआ बाज़ार अवसर: रेलवे फंडिंग का 70% से अधिक हिस्सा निर्माण और उपकरणों में निवेश हो रहा है, जिससे EPC (इंजीनियरिंग, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन) और मशीनरी व कंपोनेंट निर्माण कंपनियों के लिए बड़े अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।
•    अनुकूल मूल्यांकन: रेलवे से जुड़ी कई कंपनियाँ आकर्षक मूल्यांकन पर उपलब्ध हैं, जिनका P/E अनुपात 20 के स्तर पर है।

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