राजकोट : गिर के जंगल में रिसॉर्ट्स की भरमार से संकट में वन्यजीवन, गर्मी में शेर और तेंदुए पहुंचे खेतों तक

बामनगढ़ गांव में खेत के बाड़े में फंसा शेरों का परिवार, गर्मी और मानवीय दखल बढ़ा रहे हैं जंगल से पलायन

राजकोट : गिर के जंगल में रिसॉर्ट्स की भरमार से संकट में वन्यजीवन, गर्मी में शेर और तेंदुए पहुंचे खेतों तक

गिर के जंगलों में अनियंत्रित रिसॉर्ट निर्माण और बढ़ती गर्मी ने जंगल के राजा शेरों को भी गांवों और खेतों का रुख करने पर मजबूर कर दिया है।  हाल ही में राजकोट-जूनागढ़ जिले की सीमा के पास भेंसन तालुका के बामनगढ़ गांव में दो शेरनियों और उनके तीन शावकों का एक परिवार खेत के बाड़े में देखा गया, जिससे गांव में दहशत फैल गई।

गांव के वाड़ी धारक और पूर्व बोर्ड सदस्य प्रियवदन कोराट ने जानकारी दी कि शेरों का यह परिवार रात के समय सात फुट ऊंची बाड़ से घिरे खेत में प्रवेश कर गया। संभवतः कोई दरवाजा खुला रह गया था, जिससे वे अंदर आ गए और अब वहीं फंसे हुए हैं। इस कारण किसान खेतों में जाने से डर रहे हैं। वन विभाग को तत्काल सूचना दी गई है।

इस घटना से पहले भी इस क्षेत्र में 10 शेरों का एक और झुंड मानसून तक डेरा डाल चुका है। लेकिन तेंदुए, जो पूरे साल इस क्षेत्र में घूमते हैं और अक्सर पालतू कुत्तों को मार देते हैं, शेरों की अपेक्षा अधिक परेशानी का कारण बनते हैं।

वन्यजीव विशेषज्ञों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि गिर जंगल के आसपास अनियंत्रित रिसॉर्ट निर्माण और पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही के कारण वन क्षेत्र सिमटता जा रहा है। साथ ही, गर्मी के मौसम में जल स्रोतों के सूखने के कारण जंगली जानवर पानी और शिकार की तलाश में गांवों और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि वन विभाग इस समस्या का स्थायी समाधान निकाले, ताकि न तो इंसानों की सुरक्षा पर खतरा हो और न ही वन्यजीवों को अपने प्राकृतिक आवास से भटकना पड़े।

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