स्टेडियम और पुराने परिवर्तन पैनल के गठबंधन से नाराज वोटरों पर केंद्रित होता SDCA चुनाव
सूरत जिला क्रिकेट एसोसिएशन (SDCA) के चुनाव को लेकर शहर भर में सरगर्मी तेज है। मुख्य मुकाबला वर्तमान सत्तारुढ़ पक्ष जो स्टेडियम पैनल के बैनर तले मैदान में है और विरोधी खेमे के स्व. हेमंत कोन्ट्राक्टर पैनल के बीच में है।
इस चुनाव का मुख्य केंद्रबिंदु यह है कि पिछले चुनाव में जो गुट परिवर्तन पैनल के नाम पर विरोध में उतरा था, उसी ने प्रमुख सदस्यों ने इस बार स्टेडियम पैनल के साथ अप्रत्याशित और विवादास्पद गठबंधन कर लिया है। ऐसे में यह चुनाव अब सत्ता लोलुपता और विश्वासघात के आरोपों के बीच राजनीतिक रंग ले चुका है। जिस बात ने सबसे ज्यादा हैरानी और नाराजगी पैदा की है, वह है परिवर्तन पैनल के प्रमुख चेहरे — विपुल मुन्शी, संजय पटेल और अन्य तीन सदस्यों का उसी स्टेडियम पैनल से हाथ मिलाना, जिसके खिलाफ उन्होंने पहले कथित रुप से भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के आरोप लगाए थे। ऐसे में लोकचर्चा में इस गठबंधन को सत्ता लालसा से प्रेरित बताया जा रहा है, और मतदाता इस कदम को मूल मूल्यों के साथ विश्वासघात मान रहे हैं। बीते चुनावों और आम बैठकों में विपुल मुन्शी और संजय पटेल ने कन्हैयालाल कॉन्ट्रैक्टर और उनकी टीम पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन अब वही नेता स्टेडियम पैनल के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे मतदाताओं के बीच आक्रोश फैल गया है। यह स्थिति राजनीति के सबसे पुराने चेहरों को भी शर्मसार करने वाली बताई जा रही है।
वहीं परिवर्तन पैनल के समर्थन में पहले खड़े रहे मतदाता अब इन पांचों उम्मीदवारों को दरवाजा दिखाने के मूड में हैं। दूसरी ओर, दिवंगत हेमंत कॉन्ट्रैक्टर की बेटियाँ — येशा और अक्षरा कॉन्ट्रैक्टर — और उनके सहयोगी नेताओं मनीषचंद्र गांधी, शैलेष कपाड़िया, दीपक सेवक, मयंक त्रिवेदी, के.के. और सायमोन कोरेथ के नेतृत्व में बनी नई ‘कॉन्ट्रैक्टर पैनल’ को जनता का भारी समर्थन मिलता प्रतीत हो रहा है।
सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ लिया है। पाटीदार समाज से जुड़े 5300 से अधिक मतदाता इस कथित "सत्ता सौदे" से आहत बताये जा रहे हैं और खुलेआम नई पैनल के पक्ष में समर्थन जता रहे हैं। उनका मानना है कि यह गठबंधन मूल्यों से समझौता है, जो सिर्फ व्यक्तिगत स्वार्थ से प्रेरित है।
लोक चर्चा के दौरान ऐसी भी चिंता व्यक्त की जा रही है कि यदि देसाई तिकड़ी — डॉ. नैमेष, मयंक और किरीट — को बहुमत मिलता है तो वे वर्तमान में बीमार चल रहे कन्हैयालाल कॉन्ट्रैक्टर और हितु भरथाणा को दरकिनार किया जा सकता है और इसके बाद SDCA पर पूरी तरह से नियंत्रण स्थापित कर और कोली पटेल समाज को नेतृत्व से बाहर कर देंगे।
उपरोक्त चुनावी चर्चाएं और आरोप-प्रत्यारोप का चुनावी गणित पर क्या असर होगा यह जल्द की सामने आ जायेगा। SDCA का यह चुनाव अब केवल क्रिकेट प्रशासन से जुड़ा नहीं रहा, बल्कि यह संगठन की प्रतिष्ठा, नेतृत्व की नैतिकता और समाज की भागीदारी जैसे मुद्दों का केंद्र बन गया है। अब देखना है कि मतदाता इन गठबंधनों और गुटबाज़ी पर क्या फैसला सुनाते हैं।