सूरत : के पी संघवी डायमंड कंपनी के खिलाफ व्यापारियों का विरोध दूसरे दिन भी जारी
विधायकों और हीरा उद्योग के अग्रणियों ने परिवारों से की मुलाकात, कंपनी से मानवीय दृष्टिकोण अपनाने की अपील
सूरत। हीरा उद्योग की जानी-मानी केपी संघवी डायमंड कंपनी के खिलाफ दर्ज मामलों को लेकर हीरा व्यापारियों का दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा। कंपनी के कार्यालय के बाहर व्यापारी अपने परिवार के साथ धरने पर बैठे हैं, और मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगा रहे हैं।
विरोध स्थल पर आज कतारगाम के विधायक वीनू मोरडिया और करंज के विधायक प्रवीण घोघारी पहुंचे और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे उनके साथ हैं और कंपनी को भी मानवता दिखाते हुए समझौते का मार्ग अपनाना चाहिए।
इसके साथ ही, हीरा उद्योग के अग्रणी दिनेश नावडिया ने भी धरनास्थल का दौरा कर व्यापारियों के प्रति सहानुभूति जताई और केपी संघवी परिवार से नरमी बरतने की अपील की।
करीब छह साल पहले, हीरा व्यापार में हुए नुकसान के कारण कुछ व्यापारी केपी संघवी कंपनी को भुगतान करने में असमर्थ हो गए थे। व्यापार के दौरान कंपनी ने सुरक्षा के तौर पर उनसे अग्रिम चेक लिए थे, जिनके बाउंस होने पर कंपनी ने कानूनी कार्रवाई कर दी।
इन व्यापारियों का कहना है कि वे पहले ही अपनी जमीनें, गहने, नकदी और संपत्ति बेचकर जितना संभव हो चुका है, चुका चुके हैं। अब उनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं बचा है। बावजूद इसके कंपनी द्वारा की जा रही कार्रवाई से उन्हें और उनके परिवार को मानसिक प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है।
हीरा अग्रणी दिनेश नावडिया ने बताया कि कंपनी के साथ पहले ही समझौते की कोशिशें हो चुकी हैं और व्यापारी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए हर संभव कोशिश कर चुके हैं। अब स्थिति ऐसी है कि बारह से अधिक परिवार किसी भी भुगतान में सक्षम नहीं हैं, ऐसे में कंपनी को चाहिए कि वह दया और संवेदनशीलता का दृष्टिकोण अपनाए।
कल धरना स्थल पर वराछा विधायक कुमार कनानी पहुंचे थे, और आज कतारगाम विधायक वीनू मोरडिया और करंज विधायक प्रवीण घोघारी ने भी आंदोलनकारी व्यापारियों और उनके परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट कहा कि,
"केपी संघवी परिवार हमेशा परोपकार और समाज सेवा के लिए जाना गया है। आज जरूरत इस बात की है कि वे वही संवेदनशीलता इन व्यापारियों के लिए भी दिखाएं।"
विधायकों और सामाजिक नेताओं की यह मांग है कि कंपनी दर्ज मामले वापस ले और जो व्यापारी अब किसी भी रूप में भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें राहत दी जाए।