सूरत : आदिवासी पशुपालक की सफलता की कहानी, चारा काटने की मशीन से बढ़ी आय
महुवा तालुका के प्रदीपभाई पटेल हर महीने कमा रहे रु.30,000
सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ लेकर किसान और पशुपालक अपनी आय में बढ़ोतरी कर रहे हैं। सूरत जिले के महुवा तालुका के वाछावड़ गांव के रहने वाले आदिवासी पशुपालक प्रदीपभाई रमणभाई पटेल इसका एक शानदार उदाहरण हैं। उन्होंने गुजरात आदिजाति विकास कॉर्पोरेशन से सहायता प्राप्त कर चारा काटने की मशीन हासिल की, जिससे न केवल उनका श्रम कम हुआ बल्कि दूध उत्पादन में भी वृद्धि हुई। आज वे अपनी सात गायों से हर महीने रु.30,000 की कमाई कर रहे हैं।
प्रदीपभाई बताते हैं, "मैंने 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद खेती और पशुपालन को अपनाया। डेयरी में प्रतिदिन दूध की आपूर्ति करता हूं, जिससे अच्छी आमदनी होती है। मुझे पता चला कि मांडवी ट्राइबल सब-प्लान कार्यालय के माध्यम से चारा काटने की मशीन पर सरकारी सहायता मिल सकती है। मैंने आवेदन किया और आवश्यक दस्तावेज जमा किए। कुछ समय बाद मुझे इस मशीन पर रु.35,000 की 75 सब्सिडी मिली, जिससे मुझे सिर्फ रु.3,000 में यह मशीन मिल गई।"
प्रदीपभाई के अनुसार, "पहले घास को हाथ से काटने में बहुत समय और मेहनत लगती थी, जिससे घास का नुकसान भी होता था। अब चारा काटने की मशीन से घास छोटे टुकड़ों में कट जाता है, जिससे बर्बादी कम हुई और पशुओं को सही समय पर चारा मिलने लगा। इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ा और उत्पादन बढ़ने लगा।"
प्रदीपभाई ने राज्य सरकार की इस योजना के लिए आभार व्यक्त किया और अन्य पशुपालकों को भी इसका लाभ उठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "यदि पशुपालक सरकार की योजनाओं की जानकारी लेकर सही ढंग से आवेदन करें, तो वे भी अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं और पशुपालन को अधिक लाभदायक बना सकते हैं।"
सरकार द्वारा चलाए जा रहे पशुपालन सहायता कार्यक्रम कई आदिवासी और ग्रामीण पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रहे हैं। प्रदीपभाई पटेल की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि सही जानकारी और सरकारी सहायता से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ा जा सकता है।