हार्दिक पटेल: आंदोलन में कई गलतियाँ करने के बावजूद समाज और बीजेपी ने सब कुछ भुलाकर अपनाया

हार्दिक पटेल: आंदोलन में कई गलतियाँ करने के बावजूद समाज और बीजेपी ने सब कुछ भुलाकर अपनाया

हार्दिक पटेल एक ऐसा युवा नाम है जो न केवल गुजरात में, बल्कि दुनियाभर के गुजरातियों के लिए जाना-पहचाना बन चुका है। उनके जीवन की शुरुआत या बचपन से ज्यादा उनकी युवावस्था में समाज के लिए किया गया संघर्ष और उस दौरान की गई गलतियाँ समझने योग्य हैं, जो आज के जोशीले युवाओं के लिए एक साथ प्रेरणा और चेतावनी दोनों बन सकती हैं।

गुजरात में पाटीदार समाज के कुछ युवाओं ने समाज से जुड़े मुद्दों को लेकर चिंता व्यक्त की और अंततः सरकार के खिलाफ एक बड़े आंदोलन की राह अपनाई, जिसे "पाटीदार आंदोलन" के नाम से जाना गया। इस आंदोलन में कई युवा सामने आए, लेकिन हार्दिक पटेल का नाम प्रमुखता से उभरा। कई युवाओं ने इस आंदोलन में मेहनत की, संघर्ष किया और अपनी जान भी गंवाई, परंतु आज बात हार्दिक पटेल के इर्द-गिर्द केंद्रित है।

आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल ने गांव-गांव जाकर सभाएँ कीं, और लोगों से प्रत्यक्ष संवाद स्थापित कर अपार समर्थन हासिल किया। उनकी रैलियों में हजारों की संख्या में लोग एकत्र होने लगे। युवाओं के आव्हान पर पाटीदार समाज बड़ी संख्या में उनके साथ जुड़ने लगा। हालांकि, इन सभाओं की संख्या या स्थानों की चर्चा से अधिक महत्वपूर्ण है कि आंदोलन ने समाज और सरकार के बीच संवाद की नई शुरुआत की।

सरकार ने आंदोलन के नेताओं के साथ बातचीत करने के कई प्रयास किए, परंतु समय और समझ की कमी के कारण ठोस परिणाम सामने नहीं आ सके। आंदोलन को आंशिक सफलता मिली, और सरकार ने भी समाज की भावनाओं को समझते हुए संभव सहायता प्रदान की।

इस आंदोलन के दौरान कई युवाओं पर केस दर्ज हुए और सरकार को भी राजनीतिक रूप से अस्थिरता का सामना करना पड़ा। लेकिन अब यह समय दोषारोपण का नहीं, बल्कि सही समझ विकसित करने का है।

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हार्दिक पटेल की भूमिका पर नज़र डालें तो पाटीदार समाज ने उन्हें भरपूर समर्थन और विश्वास दिया। लेकिन उन्होंने समय का संतुलन नहीं रखा और अपनी वाणी पर संयम खो दिया। सरकार के साथ शक्ति प्रदर्शन करना एक हद तक स्वीकार्य था, लेकिन उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ जिस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया, वह आंदोलन की दिशा भटका गया। दुर्भाग्यवश, उस समय उन्हें उचित मार्गदर्शन भी नहीं मिल सका, जिससे गलतियाँ होती गईं और समाज व सरकार दोनों ही असहज हुए।

इसके बावजूद, पाटीदार समाज और गुजरात की भाजपा सरकार ने परिपक्वता दिखाते हुए हार्दिक पटेल की सभी गलतियों को भुलाकर उन्हें माफ किया और उन्हें अपनाया। आज हार्दिक पटेल भाजपा के विधायक के रूप में गुजरात विधानसभा में उपस्थित रहते हैं और पाटीदार समाज के युवा शिक्षा में लाभ प्राप्त कर रहे हैं। हाल ही में, सरकार ने आंदोलन से जुड़े कई मामलों को वापस भी ले लिया है, जो सरकार की सराहनीय पहल रही है।

अब हार्दिक पटेल पहले से कहीं अधिक परिपक्व हो चुके हैं। वे भाजपा और अपने समाज दोनों के लिए सक्रिय हैं और संतुलित राजनीतिक बयान देते हैं। हालांकि, अगर वे कुछ प्रमुख गलतियाँ नहीं करते, तो आज वे विवादों से परे पाटीदार समाज का सर्वमान्य नेतृत्व बन सकते थे।

समाज के वरिष्ठ नेताओं और राजनीतिक विशेषज्ञों की आम राय यही है कि हार्दिक पटेल अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन के लिए पाटीदार समाज और भाजपा के आजीवन ऋणी रहेंगे, और इस भावना का सम्मान करना उनकी बड़ी जिम्मेदारी है।

अंततः, यह साबित होता है कि यदि आज का युवा संयम और शालीनता से निर्णय ले, तो कोई भी सामाजिक या राजनीतिक समस्या हल हो सकती है। सही समझ और व्यवहार से जटिल से जटिल समस्याओं का समाधान संभव है।

(लेखक एक प्रतिष्ठित उद्यमी और समाज सेवक हैं। लेख में व्यक्त किये गये विचार उनके निजी विचार हैं। )