राजकोट : इस वर्ष भद्रा नक्षत्र होने से होलिका दहन रात्रि 11.26 बजे के बाद होगा
गुरुवार 6 से 13 मार्च तक होलाष्टक, मांगलिक कार्य बंद रहेंगे
हर वर्ष फाल्गुन सुदी पूर्णिमा को होली उत्सव मनाया जाता है और दूसरे दिन चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को धुलेटी यानी रंगउत्सव का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष 13 मार्च 2025 गुरुवार को सुबह से रात्रि 12.23 बजे तक पूर्णिमा है। भद्रा नक्षत्र होने के कारण इस वर्ष होलिका दहन शाम ढलने के बाद तुरंत नहीं होगा, परंतु देर रात्रि 11.26 के बाद ही हो सकेगा।
गुरुवार 6 मार्च को सुबह 11.52 से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा, जो 13 मार्च तक रहेगा। इन दिनों में सगाई, शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण, खातमुहूर्त, कीमती वस्तुओं की खरीदी आदि शुभकार्य निषेध है। इस संदर्भ में शास्त्री कमलेश पड्या ने बताया कि पूर्णिमा के दिन ही होली मनाया जाता है और इस वर्ष 13 मार्च को पूनम है। परंतु सुबह 10:35 से रात्रि 11:26 बजे तक भद्रा नक्षत्र है, जिसमें होली जलाना शुभ नहीं माना जाता है।
भारतीय शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन भद्रा रहित उत्तम माना जाता है। भद्रा रात्रि को पूर्ण होता हो तो पूर्ण होने के बाद होलिका दहन हो सकता है। मध्य रात्रि पूरा होने को हो तो यानी उसके अंतिम समय हो तो होलिका दहन हो सकता है। ऐसे में इस वर्ष रात्रि 11.26 से रात्रि 12:56 बजे तक होलिका दहन हो सकेगा। देर रात्रि ही एकम शुरू होने से 14 मार्च शुक्रवार को सुबह धुलेटी का पर्व मनाया जाएगा।
सौराष्ट्र में गिरनार पर्वत पर तथा चोटिला डूंगर पर माता जी के सानिध्य में होलिका दहन का ऐतिहासिक महत्व रहा है और माता जी की पूनम भरने हजारों भक्त पहुंचते हैं, जो इस वर्ष 13 मार्च को मनाया जाएगा। होली-धुलेटी पर्व की तैयारी जोर-जोर से शुरू हो गई है। बाजारों में विविध रंगों, पिचकारी की दुकान सज गई है। साथ ही लोगों में जागरुकता के कारण अब गाय के गोबर से बनाए जाने वाली उप्ले, स्टिक की होली जलाई जाती है और धुलेटी के दिन केसुडा सहित प्राकृतिक स्वास्थ्याप्रद रंगों से मात्र परिवारों एवं परिचितों में ही रंग खेलने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।