भारत एआई को अपनाने में अग्रणी है: निर्मला सीतारमण
कोट्टायम (केरल), 22 फरवरी (भाषा) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि भारत न केवल कृत्रिम मेधा (एआई) को अपनाने में अग्रणी है, बल्कि एआई को नियंत्रित करने के तरीके को भी आकार दे रहा है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईआईटी) कोट्टायम के छठे दीक्षांत समारोह में सीतारमण ने कहा कि भारत न केवल एआई के लिए तैयार है, बल्कि देश में एआई-संचालित समाधानों की मांग भी अधिक है।
उन्होंने कहा कि यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि देश में 2024 में तीन अरब एआई-संबंधित ऐप डाउनलोड दर्ज किए गए जबकि अमेरिका और चीन में क्रमशः केवल 1.5 अरब और 1.3 अरब डाउनलोड किये गये थे।
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि हाल में पेरिस में आयोजित ‘एआई एक्शन शिखर सम्मेलन’ में भारत को सह-अध्यक्ष बनाया जाना इस क्षेत्र में देश की वैश्विक स्थिति को मान्यता प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर जोर दिया था कि एआई सिर्फ राष्ट्रीय महत्व का मामला नहीं है बल्कि वैश्विक जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (मोदी ने) जो कहा, उससे हमें बहुत बड़ा संदेश मिलता है - एआई का इस्तेमाल करें, लेकिन जिम्मेदारी से करें। इसका दुरुपयोग न करें, इसका अनैतिक उपयोग न करें।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, हमारे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि एआई नैतिक, समावेशी और भरोसेमंद हो।’’
सीतारमण ने एआई के क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को भी रेखांकित किया, जिसकी शुरुआत ‘भारत एआई मिशन’ से हुई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सिर्फ एआई के साथ प्रयोग नहीं कर रहा है। हम सिर्फ एआई के बारे में बात नहीं कर रहे हैं या इस पर शोध नहीं कर रहे हैं। हम वास्तव में इसे बड़े पैमाने पर और विभिन्न क्षेत्रों में लागू कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्य नडेला ने भी इस बात को स्वीकार किया है।
अपने भाषण के दौरान सीतारमण ने नवाचार और पेटेंटिंग के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि वैश्विक नवाचार सूचकांक में भारत की रैंकिंग 2015 के 81वें स्थान से सुधरकर 2024 तक 133 देशों में से 39वें स्थान पर आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि ये सभी उपलब्धियां दर्शाती हैं कि देश सही दिशा में आगे बढ़ रहा है तथा इसके प्रदर्शन में और सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम अधिक नवाचार और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।’’